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ज्येष्ठ अमावस्या के उपाय

Jyeshtha Amavasya Upay: पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए ज्येष्ठ अमावस्या पर करें 5 काम, पितरों का मिलेगा आशीर्वाद


हिंदू धर्म में ज्येष्ठ माह की अमावस्या का विशेष महत्व है और जब यह तिथि सोमवार को आती है, तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन पितरों को स्मरण करने और उन्हें तर्पण देने का सबसे श्रेष्ठ अवसर होता है। इसके अलावा, इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखा जाता है, जो पति की लंबी उम्र और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए खास माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में पितृ दोष होने के कारण व्यक्ति को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। साथ ही किसी अनहोनी होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है। ऐसे में अगर आप भी पितृ दोष की समस्या से परेशान हैं और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो ज्योतिष शास्त्र में वर्णित उपायों को ज्येष्ठ अमावस्या के दिन जरूर करें। मान्यता है कि इन चमत्कारी उपाय को करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। 


कब है ज्येष्ठ सोमवती अमावस्या?

वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 26 मई 2024 को दोपहर 12:11 बजे शुरू होगी और 27 मई की सुबह 8:31 बजे समाप्त होगी। चूंकि 26 मई को सोमवार है, इसलिए इसी दिन सोमवती अमावस्या और वट सावित्री व्रत दोनों मनाए जाएंगे।


पितृ दोष से मुक्ति के लिए ज्येष्ठ अमावस्या के दिन करें ये 5 खास उपाय

1. पीपल वृक्ष की पूजा

 ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सुबह स्नान करके पीपल के पेड़ की पूजा करें। दीपक जलाएं, जल चढ़ाएं और आरती करें। ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है।

2. काले तिल का तर्पण

अमावस्या के दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद काले तिल से पितरों का तर्पण करें। तिल को पितरों का प्रतीक माना जाता है और इसे अर्पित करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

3. कुशा से करें पूजन

पितरों की पूजा बिना कुशा के अधूरी मानी जाती है। ऐसे में इस दिन तर्पण और पिंडदान करते समय कुशा का प्रयोग जरूर करें। कुशा से पितरों को अर्पण की गई चीजें जल्दी स्वीकार होती हैं और पितृ दोष कम होता है।

4. सरसों के तेल का दीपक

घर के बाहर या पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। साथ ही, कौवे को रोटी या मीठा भोजन खिलाएं। माना जाता है कि कौवों को भोजन देना पितरों को तृप्त करता है।

5. सूर्य देव को अर्घ्य

सूर्य उदय के समय तांबे के लोटे में जल, काले तिल और अक्षत डालकर सूर्य को अर्घ्य दें। साथ ही 'ॐ पितृ दैवतायै नम:' मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे पितरों को शांति मिलती है। 


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