Vat Savitri Vrat Aarti: वट सावित्री व्रत की आरती, इसे करने से मिलेगा अखंड सौभाग्य और दीर्घायु होने का आशीर्वाद
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं रखती हैं। इस दिन महिलाएं वटवृक्ष की पूजा, सावित्री-सत्यवान की कथा का पाठ और वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार यह तिथि अखंड सौभाग्य, पति की दीर्घायु और पारिवारिक सुख-शांति के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस वर्ष यह 26 मई को मनाया जाएगा।
फुलों को अर्पित करते हुए करें यह आरती
ॐ जय सावित्री माता, ॐ जय सावित्री माता।
अपनी अनुपम तेज से जग पावन करती। तुम ही रक्षक सबका, प्राणों का तुम प्राण। भक्तजन मिले सारे, नित्य करें तेरा ध्यान। भक्त तरसे तुझको, सभी विधि करें उपकार।
अंतर्मन से सुमिर लो, सुने वो तभी पुकार।
भक्तों का दुख भंजन, रक्षा करें आठों याम।
दिव्य ज्योति तुम्हारी, रहें सदा अविराम।
चारों विधि के मंत्रों का गुरु मंत्र तुम्हे कहते।
ऋषि मुनि योगी सारे, गुणगान तुम्हारा करें।
हृदय विराजो हे मां, भटक न जाऊ किसी ओर।
ॐ जय सावित्री माता, ॐ जय सावित्री माता।
यह आरती श्रद्धा और आस्था के साथ सावित्री व्रत पूजा के अंत में की जाती है। इसे करते समय दीप, कपूर और पुष्प अर्पित किए जाते हैं।
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि
- सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- वट वृक्ष के नीचे लाल या पीले वस्त्र में पूजा की थाली सजाएं।
- सावित्री-सत्यवान की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- वट वृक्ष की परिक्रमा 7 या 11 बार करें, और हर परिक्रमा के साथ धागा लाल या पीला बांधें।
- परिक्रमा करते समय मन में पति की दीर्घायु और सौभाग्य की कामना करें।
- अंत में आरती करें और कथा पढ़ें या सुनें।
- व्रत समाप्ति के बाद सुहाग का सामान जैसा कि चूड़ी, सिंदूर, बिंदी, आलता, वस्त्र आदि किसी जरूरतमंद सुहागन को दान करें।
अखंड सौभाग्यवती बनने के लिए विशेष उपाय
- वट वृक्ष में लाल या पीला धागा बांधें और कम से कम 7 या 11 बार परिक्रमा करें।
- परिक्रमा के समय पति के स्वास्थ्य और लंबी उम्र की प्रार्थना करें।
- सावित्री-सत्यवान की कथा का श्रवण या पाठ करें।
- पूजा मंत्रों का जप श्रद्धा और भक्ति से करें।