अहोई अष्टमी पर क्यों किया जाता है राधा कुंड में स्नान
अहोई अष्टमी एक हिंदू त्योहार है, जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन हजारों दंपत्ति स्नान कर पुत्र प्राप्ति की कामना करते है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रीकृष्ण गोवर्धन में गौचारण करते थे। इसी दौरान अरिष्टासुर ने गाय के बछड़े का वध करके श्री कृष्ण पर हमला करना चाहा, लेकिन श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया।
राधा कुंड क्षेत्र पूर्व राक्षस अरिष्टासुर की नगरी अरीध वन थी। अरिष्टासुर से बृजवासी तंग आ चुके थे। इस कारण श्रीकृष्ण ने उसका वध किया।
वध करने के बाद राधाजी ने बताया कि आपने एक राक्षस का वध किया है जो गाय के रूप में था। अत: आपको गौ हत्या का पाप लग सकता है। ये सुनकर कृष्ण ने अपनी बांसुरी से एक कुंड खोदा और उसमें स्नान किया।
इस पर राधा जी ने अपने कंगन से एक दूसरा कुंड खोदा और उसमें स्नान किया। तभी से श्रीकृष्ण के खोदे कुंड को श्याम कुंड और राधा जी के कुंड को राधा कुंड कहते हैं।
ब्रह्म पुराण और गर्ग संहिता के गिरिराज खंड के अनुसार, महारास के बाद कृष्ण ने राधा की इच्छानुसार उन्हें वरदान दिया कि जो भी दंपत्ति राधा कुंड में इस दिन स्नान करेगा उसे पुत्र की प्राप्ति होगी।
- श्रीकृष्ण और राधा ने स्नान के बाद महारास रचाया था। मान्यता है कि आज भी कार्तिक मास के पुष्य नक्षत्र में श्रीकृष्ण रात्रि 12 बजे तक राधाजी के साथ राधाकुंड में अष्ट सखियों संग महारास करते हैं।