छठ पूजा के दौरान 36 घंटे तक निर्जला उपवास रखे जाने का विधान है। इस दौरान उगते हुए व डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
छठ के दौरान मुख्य रूप से छठ माता की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं कि छठ माता की उत्पत्ति कैसे हुई।
मार्कण्डेय पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि जब ब्रह्मा जी ने पृथ्वी का निर्माण शुरू किया तो उन्होंने प्रकृति का भी निर्माण किया।
इसके बाद देवी प्रकृति ने स्वयं को छह रूपों में विभाजित किया। जिसके छठे अंश को छठी मैया के रूप में जाना गया।
इसी प्रकार छठी मैया को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री के रूप में भी जाना जाता है। ऐसे में बच्चे के जन्म के छठे दिन भी देवी के इसी स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, देवसेना अर्थात छठी मैया का विवाह भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय से हुआ था। इस नाते से वह भगवान शिव की पुत्रवधू हुईं।
वहीं कई धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मैया को सूर्य देव की बहन भी बताया गया है। इसी तरह की कई और कथाएं भी प्रचलित हैं।