दर्श अमावस्या क्यों मनाई जाती है, जानें महत्व और पौराणिक कथा
WRITTEN BY
Team Bhakt Vatsal
30th Nov 2024
दर्श अमावस्या कृष्ण पक्ष की आखिरी तिथि को पड़ती है। इस दिन पितृ दोष से मुक्ति के लिए उपाय किए जाते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है जब समस्त बारह सिंह आत्माएं सोमरोस पर रहा करती थीं।
उनमें से एक आत्मा ने गर्भ धारण करने के बाद एक सुंदर सी कन्या को जन्म दिया। जिसका नाम अछोदा रखा गया।
अछोदा बचपन से ही अपनी मां की देखरेख में पली थी। ऐसे में उसे हमेशा अपने पिता की कमी महसूस होती थी।
जिसके कारण एक बार सारी आत्माओं ने मिलकर उसे धरती लोक पर अमावसु की पुत्री के रूप में जन्म लेने को कहा।
राजा अमावसु एक प्रसिद्ध राजा थे। जिन्होंने अपनी पुत्री अछोदा का पालन-पोषण अच्छे से किया। वह इससे बहुत प्रसन्न थी।
इसके बदले अछोदा पितृ लोक की आत्माओं का आभार जताना चाहती थी। इसे लिए उसने श्राद्ध का मार्ग अपनाया।
उसने एक अंधेरी रात को चुना। जिस दिन चंद्रमा आकाश में नहीं होता। उस दिन वह पितृ आत्माओं का पूजन करने लगी।
पितृ भक्ति से उसे सारे सुख मिले जो उसे स्वर्ग में भी नहीं मिले थे। तभी से बिना चंद्रमा के आकाश को अमावस्या के नाम से जानते हैं।
मान्यता है कि इस दिन पितृ अपने लोक से धरती पर वापस आते हैं और अपने प्रियजनों को आशीर्वाद देते हैं।
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