दिवाली के बाद मनाई जाती है अक्षय नवमी, आंवला पेड़ की होती है पूजा

WRITTEN BY Team Bhakt Vatsal 09th Nov 2024

दिवाली के बाद हर साल अक्षय नवमी कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है।

अक्षय नवमी को इच्छा नवमी, आंवला नवमी, कुष्मांड नवमी, आरोग्य नवमी और धातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है।

अक्षय नवमी के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा-अर्चना करने का विधान है।

इस दिन महिलाएं आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर संतान की प्राप्ति, सुख-शांति, धन लाभ और सद्भाव के लिए पूजा करती हैं।

दरअसल, आंवले के पेड़ को पूजनीय वृक्ष माना गया है। कहा जाता है कि इसमें विष्णु जी वास करते हैं।

जैसा कि अक्षय नाम से पता चल रहा। इस दिन कोई भी दान या भक्ति संबंधी काम करने से उसका पुण्य फल कभी कम नहीं होता।

आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु ने कूष्माण्डक दैत्य को मारा था। भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा की थी।

अक्षय नवमी के शुभ अवसर पर मथुरा-वृन्दावन की परिक्रमा भी की जाती है। इसके फल स्वरूप व्यक्ति बैकुंठ धाम में स्थान पाता है।

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