गोपाष्टमी क्यों मनाई जाती है, जानें भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी कथा
WRITTEN BY
Team Bhakt Vatsal
09th Nov 2024
कार्तिक शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण लीला आरंभ की थी।
भगवान ने जब छह वर्ष की आयु में प्रवेश किया। तब एक दिन श्रीकृष्ण माता यशोदा से बोले- मैया अब हम बड़े हो गए हैं।
मैया यशोदा ने कहा- लल्ला तुम बड़े हो गए हो तो अब क्या करें। जवाब में भगवान ने कहा- अब हम बछड़े नहीं बल्कि गाय चराएंगे।
मैया ने कहा- ठीक है बाबा से पूछ लेना। श्रीकृष्ण नंद बाबा से पूछने गए। बाबा ने कहा- लल्ला अभी तुम छोटे हो, तुम बछड़े ही चराओ।
जब श्रीकृष्ण नहीं माने तब बाबा बोले- ठीक है लल्ला तुम पंडित जी को बुला लाओ। वह गौ चारण का मुहूर्त देखकर बता देंगे।
बाबा की बात सुनकर भगवान झट से पंडित जी के पास गए और बोले- आपको बाबा ने बुलाया है। गौ चारण का मुहूर्त देखना है।
आगे बोले- आप आज का ही मुहूर्त बता देना, मैं आपको बहुत सारा माखन दूंगा। पंडित नंद बाबा के पास पहुंचकर बोले- केवल आज का ही मुहूर्त है।
इसके बाद नंद बाबा ने भगवान को गौ चारण की स्वीकृति दे दी। उसी दिन भगवान ने गौ चारण आरंभ किया।
वह शुभ तिथि कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष अष्टमी थी। भगवान के गौ चारण आरंभ करने के कारण यह तिथि गोपाष्टमी कहलाई।
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