हिंदू विवाह में सात फेरे क्यों होते हैं

WRITTEN BY Team Bhakt Vatsal 23rd Nov 2024

शादी का बंधन सात फेरों से पूरा होता है और विवाह संस्कार में संख्या 7 का बहुत महत्व माना गया है।

साधारण शब्दों में बात करें तो विवाह शब्द वि+वाह से बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ वहन करना होता है।

विवाह एक ऐसा बंधन है जो दो लोगों को जन्मों के लिए एक रिश्ते में बांधता है। इसलिए इसका विशेष महत्व है।

कहते हैं कि शादी के समय अग्नि को साक्षी मानकर सात फेरे लिए जाते हैं तो सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।

इन सात फेरों के साथ पति-पत्नी सात वचन लेते हैं और इन वचन का उम्र भर पालन करने का भी वादा करते हैं।

इसके अलावा कहा गया है कि हमारे शरीर में ऊर्जा के सात केंद्र होते हैं, जिन्हें हम चक्र भी कहते हैं।

ऊर्जा के सातों केंद्र यानी शक्तियां हमारे शरीर से जुड़ी होती हैं। ऐसे में शादी के वक्त इन शक्तियों को शरीर में पहुंचाया जाता है।

शादी में लिए किए जाने वाले सात वचन पति-पत्नी को एक दूसरे का सम्मान और जिम्मेदारियों का एहसास कराते हैं।

सात फेरे और सात वचन सात जन्मों के लिए होते हैं और यह दो अनजान परिवारों को भी एक सूत्र में बांधते हैं।

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