संतान की दीर्घायु के लिए 25 सितंबर को रखें जितिया व्रत, जानें पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और कथा
जीवित्पुत्रिका या जितिया व्रत का हिंदू धर्म में खास महत्व माना जाता है। इस व्रत को महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु के लिए रखती है। यह निर्जला उपवास है।
महिलाएं बिना अन्न जल ग्रहण किए इस व्रत को करती हैं और अपनी संतान के बेहतर स्वास्थ्य की कामना करती है। इस साल जितिया व्रत 25 सितंबर को है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, व्रत अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर दोपहर 12:38 पर प्रारंभ होगा और 25 सितंबर को दोपहर 12:10 पर समाप्त होगा।
जितिया व्रत मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में रखा जाता है। इस व्रत को महिलाओं को हर साल करना होता है। इसे बीच में नहीं छोड़ सकते हैं।
जितिया व्रत की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। स्नान करने के बाद सूर्य नारायण की प्रतिमा को स्नान कराएं। धूप, दीप आदि से आरती करें और फिर भोग लगाएं।
इसके बाद मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाएं। कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें। व्रत की कथा पढ़ें।
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा जीमूतवाहन ने अपने साहस और सूझबूझ से एक मां के बेटे को जीवनदान दिलाया था। तभी से उन्हें भगवान के रूप में पूजा जाने लगा।
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