करवा चौथ पर करवा और छलनी से क्यों होती है पूजा, जानें कारण
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Team Bhakt Vatsal
19th October 2024
महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को निर्जला उपवास रखती हैं। जिसे करवा चौथ कहा जाता है।
करवा चौथ पर करवा से चंद्रमा को जल चढ़ाया जाता है। वहीं छलनी से चांद और पति को निहारा जाता है, फिर महिलाएं व्रत खोलती हैं।
करवा मुख्य रूप से मिट्टी का लोटा या कलश होता है। इसमें पानी भरा जाता है। करवा को पति की लंबी उम्र का प्रतीक माना जाता है।
करवा में पानी भरकर चंद्रमा को चढ़ाने से पति की आयु लंबी होती है। करवा का जल पति को पिलाने से सुख-समृद्धि आती है।
वहीं छलनी से चांद को देखने पर पति पर आने वाली बुरी नजरें दूर होती हैं। छलनी को सुहाग की रक्षा करने वाला माना जाता है।
करवा चौथ पर छलनी लेकर चांद को देखना यह भी सिखाता है कि पतिव्रत का पालन करते हुए किसी प्रकार का छल उसे डिगा न सकें।
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान गणेश ने चंद्रमा को कलंकित होने का श्राप दिया था। इस कारण करवा चौथ पर चंद्रमा को सीधे नहीं देखा जाता।
ऐसे में चंद्र देव के दर्शन के लिए महिलाएं छलनी का प्रयोग करती हैं। कहते हैं कि छलनी पर दीया रखकर चंद्रमा के दर्शन से पति का भाग्य उदय होता है।
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