क्यों किया जाता है प्रदोष का व्रत, जानें पौराणिक कथा
WRITTEN BY
Team Bhakt Vatsal
10th Nov 2024
एकादशी की तरह हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है। ये व्रत महादेव और माता पार्वती को समर्पित है।
इस व्रत को बहुत प्रभावशाली माना गया है। प्रदोष व्रत में महादेव का पूजन प्रदोष काल में ही किया जाता है।
माना जाता है कि प्रदोष काल में महादेव का पूजन करने से सभी देवी-देवताओं से आशीर्वाद मिलता है।
मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय जब हलाहल विष निकला तो सृष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव से उस विष पी लिया था।
विष इतना भयंकर था कि उसे पीने के बाद महादेव का कंठ नीला पड़ गया था और उनके शरीर में असहनीय जलन होने लगी।
तब देवताओं ने जल बेलपत्र वगैरह से महादेव की जलन को कम किया था। इस दिन त्रयोदशी तिथि थी और प्रदोष काल था।
संसार को विष के प्रभाव से बचाने के बाद देवताओं ने इसी प्रदोष काल में महादेव की स्तुति की थी।
प्रसन्न होकर महादेव ने भी तांडव किया था। तभी से हर त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में महादेव की पूजन की परंपरा है।
प्रदोष व्रत के दिन क्या करें और क्या नहीं, जानें नियम
Read Next