क्यों मनाई जाती है गणाधिप संकष्टी चतुर्थी
WRITTEN BY
Team Bhakt Vatsal
15th Nov 2024
भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय माना जाता है। हर शुभ कार्य में सबसे पहले गणेश जी की पूजा होती है।
हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि गणेश जी को समर्पित होती है। इसे गणाधिप संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में नल नाम का राजा था जो अन्य राजाओं में सर्वश्रेष्ठ था।
उनकी पत्नी का नाम दमयंती था जो बहुत सुंदर थी। राजा नल ने एक बार जुआ खेला और वह सब कुछ हार गए।
अतः उन्हें अपना संपूर्ण राज्य गंवाना पड़ा। इसके बाद राजा अपनी रानी के साथ जंगल में चले गए
एक श्राप के कारण राजा को अपनी पत्नी से भी वियोग सहना पड़ा। तभी दमयंती को वन में शरभंग महर्षि दिखे।
उन्होंने हाथ जोड़कर ऋषि से प्रार्थना की कि वह उसे उसके पति से मिलवाने का कोई न कोई उपाय बताएं।
तब शरभंग ऋषि ने कहा कि तुम्हें भगवान गणेश की पूजी करनी चाहिए और पूरे श्रद्धा से भाव व्रत करना चाहिए।
दमयंती ने वैसा ही किया और इस व्रत के प्रभाव से दमयंती को अपना पति मिल गया। साथ ही राज्य भी वापस मिल गया।
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी व्रत शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
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