मंगल कार्यों में नारियल क्यों फोड़ा जाता है, जानें वजह
WRITTEN BY
Team Bhakt Vatsal
27th Nov 2024
नारियल या श्रीफल हिंदू धर्म के सभी धार्मिक आयोजनों, अनुष्ठानों और पूजा-पाठ की सामग्री का अहम हिस्सा है।
कोई भी शुभ कार्य का आरंभ नारियल चढ़ाने के साथ ही किया जाता है। इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
ऐसे में हमारे मन में एक सवाल आता है कि आखिर नारियल को इतना महत्व क्यों दिया जाता है। आइए जानते हैं।
मान्यता है कि एक बार ऋषि विश्वामित्र इंद्र से नाराज होकर दूसरे स्वर्ग की रचना कर रहे थे। लेकिन वे इससे असंतुष्ठ थे।
फिर उन्होंने पूरी सृष्टि ही दूसरी बनाने की ठान ली, जिसमें उन्होंने मानव के रूप में नारियल का निर्माण किया।
कहते हैं कि नारियल के खोल पर बाहर जो दो आंखें और एक मुख की रचना दिखाई देती है यह उसी का प्रतीक है।
आगे चलकर हिंदू धर्म में मौजूद मनुष्य और जानवरों की बलि की परंपरा को खत्म करने के लिए नारियल चढ़ाने की प्रथा शुरू हुई।
नारियल फोड़ने का अर्थ स्वयं को अपने इष्ट देव को समर्पित करना है। यही कारण है कि मांगलिक कार्यों में नारियल चढ़ाया जाता है।
नारियल के अंदर जो पानी होता है वो बहुत पवित्र माना जाता है। इसका पानी चारों तरफ फैलता है तो नकारात्मकता दूर होती है।
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