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Team Bhakt Vatsal
इन्हें मूल लक्ष्मी और महालक्ष्मी भी कहा जाता है। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार, आदि लक्ष्मी ने सृष्टि की रचना की थी। उन्हीं से त्रिदेव और महाकाली, लक्ष्मी और महासरस्वती प्रकट हुई।
मां लक्ष्मी के दूसरे स्वरूप को वीर लक्ष्मी भी कहा जाता है। इन्हें मां कात्यायनी का रूप भी माना जाता है, जिन्होंने महिषासुर का वध किया था।
संतान लक्ष्मी को स्कंदमाता के रूप में भी जाना जाता है। इनके चार हाथ हैं और अपनी गोद में कुमार स्कंद को बालक रूप में लेकर बैठी हुई हैं।
मां के अष्ट लक्ष्मी स्वरूप का चौथा रूप विद्या लक्ष्मी है। ये ज्ञान, कला और कौशल प्रदान करती हैं। इनकी साधना से शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
इन्हें मां अन्नपूर्णा का ही एक रूप माना जाता है। जो संसार में धान्य यानि अन्न के रूप में वास करती हैं। इनको प्रसन्न करने के लिए भोजन का अनादर नहीं करना चाहिए।
मां हाथी के ऊपर कमल के आसन पर विराजमान हैं। माता गज लक्ष्मी को कृषि और उर्वरता की देवी के रूप में पूजा जाता है। इनकी आराधना से संतान की प्राप्ति होती है।
माता लक्ष्मी के इस रूप को जय लक्ष्मी या विजय लक्ष्मी के नाम से भी जाना जाता है। मां के इस रूप की साधना से भक्तों को हर क्षेत्र में विजय की प्राप्ति होती है।
जब भगवान विष्णु ने कुबेर से कर्ज लिया तो लक्ष्मी ने कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए यह रूप लिया था। मां के इस रूप की पूजा कर्ज मुक्ति के लिए की जाती है।