प्रदोष व्रत क्यों किया जाता है, पढ़ें पौराणिक कथा
WRITTEN BY
Team Bhakt Vatsal
26th Nov 2024
एकादशी की तरह ही हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है। ये व्रत महादेव और माता पार्वती को समर्पित है।
इस व्रत को बहुत प्रभावशाली माना गया है। प्रदोष व्रत में महादेव का पूजन प्रदोष काल में ही किया जाता है।
माना जाता है कि प्रदोष काल में महादेव का पूजन करने से सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रदोष व्रत क्यों रखा जाता है। दरअसल समुद्र मंथन के समय हलाहल विष निकला था।
सृष्टि को बचाने के लिए शिवजी ने उस भयंकर विष को पिया। इस विष के बाद महादेव का कंठ नीला पड़ गया था।
विष के प्रभाव से उनके शरीर में जलन होने लगी थी। तभी देवताओं ने जल, बेलपत्र से महादेव की जलन को कम किया था।
यह घटना त्रयोदशी तिथि की प्रदोष काल की थी। इसी दौरान देवताओं ने इसी प्रदोष काल में महादेव की स्तुति की थी।
महादेव ने तांडव भी किया था। तभी से हर त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में महादेव के पूजन की परंपरा चलती आ रही है।
तभी से ये व्रत प्रदोष व्रत के नाम से प्रसिद्ध हो गया। वहीं इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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