प्रदोष व्रत पूजा विधि, इन मंत्रों का करें पाठ
WRITTEN BY
Team Bhakt Vatsal
11th Nov 2024
प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को पड़ता है। सनातन धर्म में इसका बहुत महत्व है।
इस व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है। शिव पूजा के लिए प्रदोष काल समय सबसे उत्तम माना जाता है।
पूजा अनुष्ठान से पहले सुबह जल्दी उठें और स्नान करें। एक वेदी पर भगवान शिव और देवी पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
देसी घी का दीपक जलाएं और गुड़हल, आक, मदार के फूल अर्पित करें। खीर, ठंडाई और मिठाई का प्रसाद चढ़ाएं।
भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित विभिन्न मंत्रों का जाप करें। वहीं शिव पुराण और शिव तांडव स्त्रोत का पाठ भी करें।
इसके साथ ही प्रदोष व्रत का पाठ करें। शाम को शिव परिवार की पूजा जरूर करें। आरती के साथ पूजा पूर्ण करें।
फिर भोग प्रसाद परिवार के सदस्यों में बांटें। व्रती अपना व्रत सात्विक भोजन से खोलें और तामसिक भोजन से बचें।
नवंबर के महीने में कब-कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत, यहां जानें
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