सबसे पुराना अखाड़ा है निरंजनी अखाड़ा, जानें इससे जुड़ी खास बातें
WRITTEN BY
Team Bhakt Vatsal
23rd Dec 2024
कुंभ मेले में अखाड़ों की संख्या 13 मानी जाती है। अखाड़ों की परंपरा आदि गुरु शंकराचार्य ने शुरू की थी।
निरंजनी अखाड़ा हिन्दू धर्म के सबसे पुराने अखाड़ों में से एक है। इसकी स्थापना 14वीं शताब्दी में हुई थी।
यह अखाड़ा स्थापना के समय से ही साधु-संतों और हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है।
इस अखाड़े के इष्ट देव भगवान शिवजी के पुत्र कार्तिकेय हैं और इस अखाड़े का मुख्यालय प्रयागराज में है।
इस अखाड़े का पूरा नाम श्री पंचायती तपोनिधि निरंजनी अखाड़ा है। मुख्य आश्रम मायापुर, हरिद्वार में स्थित है।
इस अखाड़े में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे साधु शामिल हैं। जिसमें डॉक्टर, प्रोफेसर और प्रोफेशनल शामिल हैं।
यह अखाड़ा सबसे धनी अखाड़ों में माना जाता है। इस अखाड़े में स्थाई और अस्थाई दोनों तरह की दीक्षा दी जाती है।
सबसे बड़ा अखाड़ा है जूना अखाड़ा, इससे जुड़ी खास बातें
Read Next