मां दुर्गा के 9 स्वरूपों को समर्पित हैं शारदीय नवरात्र, जानें महत्व और उनकी महिमा
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Team Bhakt Vatsal8th October 2024
शारदीय नवरात्रि के दौरान 9 दिन देवी दुर्गा भक्तों पर कृपा बरसाने धरती पर आती हैं और दुर्गानवमी पर अपने लोक लौट जाती हैं। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा का विधान है।
पहला दिन- शैलपुत्री देवी दुर्गा के नौ रूप में पहले स्वरूप में जानी जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा।
दूसरा दिन-शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन देवी ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है। मां का ये रूप तपस्विनी का है। ब्रह्मचारिणी का अर्थ होता है- तप का आचरण करने वाली।
तीसरा दिन-नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित होता है। बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला हैं। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान हैं, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।
चौथा दिन-नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप देवी कूष्मांडा की पूजा का विधान है। मां कूष्मांडा का स्वरूप बहुत ही तेजस्वी है। मां कूष्मांडा सूर्य के समान तेज वाली हैं।
पांचवा दिन-नवदुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता का है। कार्तिकेय (स्कंद) की माता होने के कारण इनको स्कन्दमाता कहा जाता है। माता चार भुजाधारी कमल के पुष्प पर बैठती हैं। इनको पद्मासना देवी भी कहा जाता है।
छठा दिन-नवरात्रि के छठे दिन माता के अलौकिक स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी स्वरूप में माता शेर पर सवार और उनके सिर पर मुकुट सुशोभित है। माता की चार भुजाएं हैं।
सातवां दिन-नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित है। मां का वर्ण अंधकार की भांति काला होता है। काले अथवा श्याम रंग की वजह मां का क्रोध था।
आठवां दिन-नवरात्रि की अष्टमी तिथि महागौरी को समर्पित है। इस दिन महागौरी भगवान शिव की अर्धांगिनी के रूप में भगवान शिव के साथ विराजमान रहती हैं।
नौवां दिन-नवरात्रि पूजन के नौवें दिन सिद्धिदात्री माता उपासना की जाती है। इनका स्वरूप अत्यंत ही परम दिव्य है। मां का वाहन सिंह है और देवी कमल पर भी आसीन होती हैं।