बैकुंठ चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है, जान लें पूरी कथा

WRITTEN BY Team Bhakt Vatsal 13th Nov 2024

सनातन धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी का खास महत्व है। इस दिन हरि विष्णु और भोलेनाथ की पूजा की जाती है।

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, एक बार श्रीहरि विष्णु भोलेनाथ की पूजा करने के लिए काशी पहुंचे थे।

गंगा में स्नान करने के बाद उनके मन में शिवजी को एक हजार स्वर्ण कमल पुष्प अर्पित करने की इच्छा हुई।

लेकिन पूजा के समय भगवान विष्णु ने पाया कि एक फूल की संख्या कम थी।

कहा जाता है कि पुष्प को भगवान शिव ने विष्णु जी की भक्ति की परीक्षा लेने के लिए छिपा दिया था।

जब भगवान विष्णु को कमल का फूल नहीं मिला, तो उन्होंने अपनी एक आंख भोलेनाथ को भेंट करने का सोचा।

क्योंकि नारायण की आंखों को कमल नयन भी कहा जाता है। जैसे ही भगवान विष्णु अपनी आंख चढ़ाने वाले थे।

तभी अचानक भगवान शिव प्रकट हो गए। श्रीहरि का प्रेम देखकर भोलेबाबा बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया।

शिव जी ने कहा इस दिन जो भगवान विष्णु की पूजा करेगा वो सीधा बैकुंठ जाएगा। तभी से बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाती है।

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