वृश्चिक संक्रांति क्या होती है, जानें महत्व

WRITTEN BY Team Bhakt Vatsal 14th Nov 2024

ज्योतिष शास्त्र में सूर्य देव को आत्मा का कारक माना जाता है। सूर्य देव एक राशि में 30 दिनों तक रहते हैं।

इसके बाद सूर्य देव राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है।

सूर्य देव अगहन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को राशि परिवर्तन करेंगे।

इस दिन सूर्य देव सुबह 07 बजकर 41 मिनट पर तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में गोचर करेंगे।

सूर्य देव के तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में गोचर करने को ही वृश्चिक संक्रांति कहते हैं।

धार्मिक मत है कि संक्रांति तिथि पर सूर्य देव की उपासना करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।

इसके साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।

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