नवीनतम लेख

माता पार्वती ने छिन्नमस्ता अवतार क्यों लिया था

Chinnamasta Devi Katha: माता पार्वती ने लिया था छिन्नमस्ता देवी का अवतार, विस्तार से जाने धार्मिक कथा


मां छिन्नमस्ता, जिन्हें तंत्र साहित्य में दस महाविद्याओं में तीसरे स्थान पर रखा गया है, वह मां पार्वती का उग्र रूप मानी जाती हैं। उनकी उत्पत्ति की कथा अत्यंत रहस्यमय है, जो भक्तों को त्याग, बलिदान और आत्मरक्षा की दिशा में प्रेरित करती है। 

छिन्नमस्ता माता ने अपने खून से बुझाई थी जया और विजय की भूख


पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार मां पार्वती अपनी दो सहेलियों, जया और विजय के साथ मंदाकिनी नदी में स्नान कर रही थीं। स्नान के दौरान सहेलियों को तीव्र भूख लगने लगी। बार-बार भोजन की मांग करने पर मां पार्वती ने उन्हें पहले स्नान करने को कहा। लेकिन भूख के मारे सहेलियां परेशान हो गईं। आखिरकार, मां पार्वती ने क्रोध में आकर अपने खड्ग से अपना सिर काट लिया। इससे तीन रक्त की धाराएं निकलीं, दो धाराएं सहेलियों के मुख में और एक धारा स्वयं मां के मुख में प्रवाहित हुई। 

भगवान शिव ने किया था मां पार्वती का ये उग्र रूप शांत

धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार, इस घटना से मां का रूप अत्यंत उग्र हो गया, जिससे देवताओं में हाहाकार मच गया। फिर भगवान शिव ने कबंध का रूप धारण करके देवी पार्वती के प्रचंड रूप को शांत किया। उस समय से मां पार्वती के इस रूप को 'छिन्नमस्ता' कहा जाने लगा। 

मां छिन्नमस्ता की पूजा से प्राप्त होती है मानसिक शांति 

मां छिन्नमस्ता का रूप उग्र होने के बावजूद वह भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उनके जीवन के सभी कष्ट दूर करती हैं। साथ ही, उन्हें तंत्र साधकों के लिए विशेष महत्व प्राप्त है। मां छिन्नमस्तिका का आध्यात्मिक स्वरूप अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो शुद्धता, त्याग और शक्ति का प्रतीक है। 

मां छिन्नमस्ता की पूजा से भक्तों को शत्रु-विजय, राज्य-प्राप्ति और दुर्लभ मोक्ष प्राप्ति होती है। साथ ही, उनकी पूजा से न केवल भौतिक सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि आत्मिक शांति की प्राप्ति भी होती है।

दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे करें

दुर्गा सप्तशती का पाठ देवी दुर्गा की कृपा पाने का एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली माध्यम है। इसे 'चंडी पाठ' के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गा सप्तशती में 700 श्लोक हैं, जो देवी दुर्गा की महिमा, उनकी विजय और शक्ति का वर्णन करते हैं।

तेरे पूजन को भगवान, बना मन मंदिर आलीशान - भजन (Tere Pujan Ko Bhagwan)

तेरे पूजन को भगवान,
बना मन मंदिर आलीशान ।

श्री सरस्वती स्तोत्रम् | वाणी स्तवनं (Shri Sarasvati Storam I Vanii Stavann

कृपां कुरु जगन्मातर्मामेवंहततेजसम्।

सूरत बड़ी है प्यारी माँ की (Surat Badi Hain Pyari Maa Ki)

सूरत बड़ी है प्यारी माँ की,
मूरत की क्या बात है,