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ज्योतिषशास्त्र मानता है कि हमारे जीवन में जो भी उतार-चढ़ाव आते हैं, उसके पीछे ग्रहों की स्थिति और दशा जिम्मेदार होती है। जन्म के समय जातक की तिथि, स्थान और समय के अनुसार कुंडली बनती है जिसमें नवग्रहों की स्थिति दर्ज होती है। अगर किसी ग्रह की स्थिति अशुभ हो या वह नीच का हो तो जातक के जीवन में समस्याएं आने लगती हैं। ज्योतिष के अनुसार हमारे सौरमंडल में 9 ग्रह होते हैं — सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु। इनमें राहु और केतु को विज्ञान ग्रह नहीं मानता लेकिन ज्योतिष में ये छाया ग्रह माने जाते हैं और इनका प्रभाव सबसे गहरा होता है।
अगर कुंडली में कोई ग्रह अशुभ स्थिति में हो या दशा प्रतिकूल चल रही हो, तो उसकी शांति के लिए विशेष पूजा की जाती है, जिसे नवग्रह पूजा कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहों की दशा को शांत करने और उनके अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए नवग्रहों की पूजा जरूरी मानी जाती है।
ज्योतिष के मुताबिक, 12 राशियों में ग्रह अपनी चाल से भ्रमण करते हैं। जैसे सूर्य से स्वास्थ्य, चंद्र से मन और मनोबल, मंगल से ऊर्जा व पराक्रम जुड़ा होता है। जब कोई ग्रह कुंडली में कमजोर होता है तो जीवन में बाधाएं आती हैं। ऐसे में वैदिक मंत्रों और विशेष विधि से की गई नवग्रह पूजा से सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं।
नवग्रह पूजा घर पर भी कर सकते हैं या फिर किसी नवग्रह मंदिर में जाकर भी इसका आयोजन किया जा सकता है।
संकल्प लेने के लिए हाथ में जल, फूल और चावल लें। अब हिंदी तिथि, वार, स्थान और अपना नाम लेकर अपनी कामना कहें। फिर जल को जमीन पर छोड़ दें।
नवग्रहों की प्रसन्नता के लिए कई वैदिक और बीज मंत्र बताए गए हैं। लेकिन हर कोई कठिन वैदिक मंत्र नहीं बोल सकता, इसलिए यहां सरल और प्रभावशाली नवग्रह शांति मंत्र दिया गया है, जिसका जाप कोई भी कर सकता है:
“ॐ ब्रह्मामुरारि त्रिपुरान्तकारी भानु: शशि भूमिसुतो बुध च।
गुरु च शुक्र: शनि राहु केतव: सर्वेग्रहा: शान्ति करा: भवन्तु॥”
इस मंत्र का स्फटिक माला से 108 बार या दिन में कम से कम 11 बार जाप करने से नवग्रहों का असर संतुलित होता है।
नोट – नवग्रह यंत्र और स्फटिक की माला आपको किसी भी पूजा सामग्री की दुकान पर आसानी से मिल जाएगी।