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आरती अन्नपूर्णा माता जी की (Aarti Annapurna Mata Ji Ki)

 ॥ श्री अन्नपूर्णा माता जी की आरती ॥

बारम्बार प्रणाम, मैया बारम्बार प्रणाम।

जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके,कहां उसे विश्राम।

अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारे, लेते होत सब काम॥

प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर,कालान्तर तक नाम।

बारम्बार प्रणाम...

सुर सुरों की रचना करती,कहाँ कृष्ण कहाँ राम॥

चूमहि चरण चतुर चतुरानन,चारु चक्रधर श्याम।

बारम्बार प्रणाम...

चन्द्र चूड़ चन्द्रानन चाकर,शोभा लखहि ललाम॥

देवी देव दयनीय दशा में, दया दया तव नाम।

बारम्बार प्रणाम...

त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल,शरण रूप तव धाम॥

श्रीं, ह्रीं, श्रद्धा, श्रीं ऐं विद्या,श्रीं क्लीं कमल काम।

बारम्बार प्रणाम...

कान्तिभ्रांतिमयी कांति शांतिमयी वर देतु निष्काम॥

बारम्बार प्रणाम...

बोलिये अन्नपूर्णा माता की जय

एक नजर कृपा की कर दो, लाडली श्री राधे(Ek Nazar Kripa Ki Kar Do Ladli Shri Radhe)

एक नजर कृपा की कर दो,
लाडली श्री राधे ।

कभी भूलू ना.. मेरे राधा रमण (Kabhi Bhoolun Na Radha Raman Mere)

कभी भूलू ना कभी भूलू ना
कभी भूलू ना याद तुम्हारी

दिल में श्री राम बसे हैं, संग माता जानकी(Dil Mein Shree Ram Base Hai Sang Mata Janki)

दिल में श्री राम बसे हैं,
संग माता जानकी,

वामन अवतार की पूजा विधि

वामन द्वादशी का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। यह पर्व हर साल दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र मास की द्वादशी तिथि को और दूसरा भाद्रपद मास की द्वादशी तिथि को।

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