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बसंत सम्पात 2025: महत्व और अनुष्ठान

कब है मनाई जाएगी बसंत सम्पात, जानें इसका महत्व और खास अनुष्ठान


बसंत सम्पात हर साल ऐसा समय होता है जब दिन और रात की अवधि समान होती है। इसे ऋतु परिवर्तन का संकेत माना जाता है, जब सर्दी खत्म होती है और गर्मी की शुरुआत होती है। 2025 का बसंत सम्पात विशेष होने वाला है, क्योंकि इस साल शनि और नेप्च्यून ग्रह मेष राशि में प्रवेश कर रहे हैं। यह बदलाव जीवन के कई क्षेत्रों में नई संभावनाएं और परिवर्तन लाने वाला है। अगर आप करियर में सफलता, रिश्तों में मजबूती या आध्यात्मिक शांति चाहते हैं, तो यह नए संकल्प लेने और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का सही समय है। आइए जानते हैं इस बसंत सम्पात का महत्व और इससे जुड़ी खास बातें।


बसंत सम्पात 2025 कब है

 

2025 में बसंत सम्पात 20 मार्च को होगा। इस दिन सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेगा, जिसे ज्योतिष में एक नए चक्र की शुरुआत माना जाता है।

यह साल विशेष है क्योंकि नेप्च्यून ग्रह 30 मार्च को मेष राशि में जाएगा, जिससे 165 साल का नया चक्र शुरू होगा। शनि ग्रह 24 मई को मेष राशि में जाएगा, जिससे 29 साल का नया चक्र शुरू होगा। इस बदलाव से जीवन में नई संभावनाएं, आत्मविकास और परिवर्तन देखने को मिलेंगे।


बसंत सम्पात पर क्या करें?


1. करियर और सफलता के लिए अनुष्ठान

  • अपने पुराने अनुभवों और असफलताओं को लिखें और जलाकर नकारात्मकता को समाप्त करें।
  • एक नई चिट्ठी लिखें, जिसमें आप अपने भविष्य के लिए संकल्प लें और उसे लाल मोमबत्ती के पास रखें।
  • इससे आपकी ऊर्जा और आत्मविश्वास बढ़ेगा।


2. रिश्तों में सुधार के लिए उपाय

  • एक कटोरे में पानी और गुलाब की पंखुड़ियां डालें।
  • उसमें अपने पुराने रिश्तों का नाम लेकर उन्हें शुभकामनाएं दें और फिर पानी को मिट्टी में डाल दें।
  • गुलाबी मोमबत्ती जलाएं और नए, अच्छे रिश्तों के लिए प्रार्थना करें।


3. जीवन के सही मार्गदर्शन के लिए साधना

  • टैरो कार्ड, क्रिस्टल, धार्मिक किताब या कोई अन्य प्रेरणादायक वस्तु चुनें।
  • ध्यान करें और अपने जीवन से जुड़े प्रश्नों पर विचार करें।
  • किसी गुरु, बुजुर्ग या विश्वसनीय व्यक्ति से सलाह लें, जिससे आपको सही दिशा मिले।
  • बसंत सम्पात का वैज्ञानिक महत्व 


बसंत सम्पात (Spring Equinox) उत्तरी गोलार्ध में वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन पृथ्वी की अक्ष सूर्य के सापेक्ष ऐसी स्थिति में होती है कि सूर्य का प्रकाश भूमध्य रेखा पर सीधा पड़ता है, जिससे दिन और रात लगभग बराबर (12-12 घंटे) होते हैं। इसके बाद से, उत्तरी गोलार्ध में दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं।


विश्व के विभिन्न संस्कृतियों में बसंत सम्पात 


भारत के अलावा, विश्व की कई संस्कृतियों में भी बसंत सम्पात का विशेष महत्व है। ईरान में नवरोज़ (नया दिन), जापान में शुन्बुन नो ही, और मेसोअमेरिकन संस्कृति में कुकुल्कान सर्प का अवतरण जैसे त्योहार इसी अवसर पर मनाए जाते हैं। यह दिन प्रकृति के नवीनीकरण, जीवन के पुनर्जन्म और प्राकृतिक चक्र की निरंतरता का प्रतीक है।


आध्यात्मिक अभ्यास के लिए उत्तम समय 


बसंत सम्पात को आध्यात्मिक विकास के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस समय की संतुलित ऊर्जा ध्यान, योग और प्राणायाम जैसे अभ्यासों के लिए अनुकूल होती है। अपने चक्रों को संतुलित करने और आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए यह समय विशेष रूप से उपयुक्त है।


एकादशी व्रत का महत्व

सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। बता दें कि साल में कुल 24 एकदशी पड़ती हैं। हर एकादशी का अपना अलग महत्व होता है। ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं।

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om jayanti, mangla, kali, bhadrakali, kapalini .
durga, shiva, kshama, dhatri, svahaa, svadha namo̕stu te॥
esh sachandan gandh pusp bilva patranjali om hrim durgaye namah॥

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