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अजब हैरान हूं भगवन! तुम्हें कैसे रिझाऊं मैं: भजन (Ajab Hairan Hoon Bhagawan Tumhen Kaise Rijhaon Main)

अजब हैरान हूं भगवन!

तुम्हें कैसे रिझाऊं मैं ।

कोई वस्तु नहीं ऐसी,

जिसे सेवा में लाऊं मैं ॥


करें किस तौर आवाहन कि,

तुम मौजूद हो हर जां ।

निरादर है बुलाने को,

अगर घंटी बजाऊं मैं ॥


तुम्हीं हो मूर्ति में भी,

तुम्हीं व्यापक हो फूलों में ।

भला भगवान पर,

भगवान को कैसे चढाऊं मैं ॥


लगाना भोग कुछ तुमको,

यह एक अपमान करना है ।

खिलाता है जो सब जग को,

उसे कैसे खिलाऊं मैं ॥


तुम्हारी ज्योति से रोशन हैं,

सूरज-चांद और तारे ।

महा अन्धेर है कैसे तुम्हें,

दीपक दिखाऊं मैं ॥


भुजाएं हैं। न गर्दन है,

न सीना है न पेशानी ।

तुम हो निर्लेप नारायण,

कहां चंदन लगाऊँ मैं ॥


बड़े नादान है वे जन,

जो गढ़ते आपकी मूरत ।

बनाता है जो सब जग को,

उसे कैसे बनाऊँ मैं ॥


अजब हैरान हूं भगवन!

तुम्हें कैसे रिझाऊं मैं ।

कोई वस्तु नहीं ऐसी,

जिसे सेवा में लाऊं मैं ॥


अजब हैरान हूं भगवन!

तुम्हें कैसे रिझाऊं मैं ।

कोई वस्तु नहीं ऐसी,

जिसे सेवा में लाऊं मैं ॥


शंकर दयालु दूसरा, तुमसा कोई नहीं (Shankar Dayalu Dusra Tumsa Koi Nahi)

शंकर दयालु दूसरा,
तुमसा कोई नहीं,

रामनवमी पर रामलला की पूजा विधि

देशभर में रामनवमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इसलिए, राम भक्त पूरे साल इस दिन का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार करते हैं। यह हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है।

वैकुंठ धाम कहां है

वैकुण्ठ धाम एक ऐसा स्थान है जहां कर्महीनता नहीं है, निष्क्रियता नहीं है। कहते हैं कि मरने के बाद पुण्य कर्म करने वाले लोग स्वर्ग या वैकुंठ जाते हैं। सनातन धर्म में बैकुंठ धाम की बहुत चर्चा होती है।

सूर्य प्रार्थना

प्रातः स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यं रूपं हि मंडलमृचोऽथ तनुर्यजूंषि।
सामानि यस्य किरणाः प्रभवादिहेतुं ब्रह्माहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम् ॥