नवीनतम लेख

भोले तेरे चरणों की (Bhole Tere Charno Ki)

भोले तेरे चरणों की,

गर धूल जो मिल जाए,

सच कहता हूँ मेरी,

तकदीर बदल जाए,

बाबा तेरे चरणों की,

गर धूल जो मिल जाए ॥


सुनता हूँ तेरी रहमत,

दिन रात बरसती है,

एक बूँद जो मिल जाए,

मन की कलि खिल जाए,

भोले तेरे चरणो की,

गर धूल जो मिल जाए,

सच कहता हूँ मेरी,

तकदीर बदल जाए ॥


ये मन बड़ा चंचल है,

कैसे तेरा भजन करूँ,

जितना इसे समझाऊं,

उतना ही मचल जाए,

भोले तेरे चरणो की,

गर धूल जो मिल जाए,

सच कहता हूँ मेरी,

तकदीर बदल जाए ॥


नजरों से गिराना ना,

चाहे लाख सजा देना,

नजरो से जो गिर जाए,

मुश्किल है संभल पाए,

भोले तेरे चरणो की,

गर धूल जो मिल जाए,

सच कहता हूँ मेरी,

तकदीर बदल जाए ॥


भोले इस जीवन में,

बस एक तमन्ना है,

तुम सामने हो मेरे,

मेरा दम ही निकल जाए,

राधे तेरे चरणों की,

गर धूल जो मिल जाए,

सच कहता हूँ मेरी,

तकदीर बदल जाए ॥


भोले तेरे चरणों की,

गर धूल जो मिल जाए,

सच कहता हूँ मेरी,

तकदीर बदल जाए,

बाबा तेरे चरणों की,

गर धूल जो मिल जाए ॥


मेरी लगी शंभू से प्रीत, ये दुनिया क्या जाने(Meri Lagi Shambhu Se Preet Ye Duniya Kya Jane)

मेरी लगी शंभू से प्रीत,
ये दुनिया क्या जाने,

माघ गुप्त नवरात्रि के उपाय

साल में दो बार गुप्त नवरात्र मनाया जाता है। गुप्त नवरात्र मां दुर्गा को समर्पित पर्व है। इस दौरान लोग 10 महाविद्याओं की उपासना करते हैं। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए व्रत भी किया जाता है।

तृष्णा ना जाए मन से - भजन (Trishna Na Jaye Man Se)

तृष्णा ना जाये मन से ॥

इष्टि पौराणिक कथा और महत्व

इष्टि, वैदिक काल का एक विशेष प्रकार का यज्ञ है। जो इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में शांति लाने के उद्देश्य से किया जाता है। संस्कृत में 'इष्टि' का अर्थ 'यज्ञ' होता है। इसे हवन की तरह ही आयोजित किया जाता है।

यह भी जाने