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कहा प्रभु से बिगड़ता क्या (Kaha Prabhu Se Bigadta Kya)

कहा प्रभु से बिगड़ता क्या,

मेरी बिगड़ी बनाने में


मजा क्या आ रहा तुमको,

मुझे दर दर घूमाने में


वे बोले क्यों मेरे पीछे,

पड़ा तू रोज रहता है,


मैं बोला, दूसरा कोई

और बता दो जमाने में


वे बोले कि हजारों हैं,

करूंगा कृपा किस किस पर


मैं बोला साफ ही कह हो,

बचा कुछ नहीं खजाने में


वे बोले होश में बोलो,

नहीं तो रूठ जाऊँगा,


मैं बोला हो बड़े माहिर,

जल्दी रूठ जाने में


कहीं कुछ साधना की है,

वो बोले तो कहा मैंने


सुना है रीझ जाते हो

फकत आंसू बहाने में


वे बोले मेरी मर्जी है

करूंगा जो भी चाहूंगा


मैं बोला कर दो परिवर्तन,

करूणानिधि कहाने में


वे बोले करुणा दया न होती

तो जन राजेश न होते


मैं बोला हर्ज फिर क्या है,

मुझे मुख छवि दिखाने में


कहा प्रभु से बिगड़ता क्या,

मेरी बिगड़ी बनाने में

केवट राम का भक्त है(Kevat Ram Ka Bhakt Hai)

केवट राम का भक्त है
दोनों चरणों को धोना पड़ेगा,

शनि प्रदोष व्रत मुहूर्त और तारीख

सनातन हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। बता दें कि प्रदोष व्रत महीने में दो बार आता है। पर प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ने पर उसे शनि त्रयोदशी के नाम से जाना जाता है।

ऊँ शिव गोरक्ष योगी - प्रार्थना (Om Jai Gauraksh Yogi - Prarthana)

ऊँ शिव गोरक्ष योगी
गंगे हर-नर्मदे हर, जटाशङ़्करी हर ऊँ नमो पार्वती पतये हर,

छठी देवी स्तोत्र (Chhathi Devi Stotram)

नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शान्त्यै नमो नम:।
शुभायै देवसेनायै षष्ठी देव्यै नमो नम: ।।

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