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रामदूत महावीर हनुमान, स्वीकारो (Ramdoot Mahavir Hanuman Sweekaro)

प्रनवउँ पवनकुमार,

खल बन पावक ग्यान घन,

जासु हृदय आगार,

बसहिं राम सर चाप धर ।


रामदूत महावीर हनुमान,

स्वीकारो मेरे कोटि प्रणाम,

आस लगी तोरी किरपा निधान,

दया करो प्रभु दया निधान ।

जय बजरंग बली हनुमान,

दया करो प्रभु दया निधान ।


जय बजरंग बली हनुमान,

दया करो प्रभु दया निधान ॥


चरणों में बैठे है तुम्हारे,

अर्चन वंदन करते हैं,

अक्षत चंदन धूप दीप से,

हम अभिनन्दन करते हैं,

अवगुण मेरे ना धरियो ध्यान,

अवगुण मेरे ना धरियो ध्यान,

स्वीकारो मेरे कोटि प्रणाम,

स्वीकारो मेरे कोटि प्रणाम ।

जय बजरंग बली हनुमान,

दया करो प्रभु दया निधान ।


जय बजरंग बली हनुमान,

दया करो प्रभु दया निधान ॥


लोभ मोह मद काम के दानव,

मन में छुप के बैठे हैं,

प्रभु भी भक्ति ना होने देते,

मन को चंचल करते हैं,

रक्षा करो इनसे हनुमान,

रक्षा करो इनसे हनुमान,

स्वीकारो मेरे कोटि प्रणाम,

स्वीकारो मेरे कोटि प्रणाम ।

जय बजरंग बली हनुमान,

दया करो प्रभु दया निधान ।


जय बजरंग बली हनुमान,

दया करो प्रभु दया निधान ॥


अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता,

सदा सहाई हो दुखियों के,

राम से नाता बना जो सबका,

भाग्य जगा दो प्रभु भक्तों के,

भक्ति की ज्योति जले अविराम,

भक्ति की ज्योति जले अविराम,

स्वीकारो मेरे कोटि प्रणाम,

स्वीकारो मेरे कोटि प्रणाम ।

जय बजरंग बली हनुमान,

दया करो प्रभु दया निधान ।


रामदूत महावीर हनुमान,

स्वीकारो मेरे कोटि प्रणाम,

आस लगी तोरी किरपा निधान,

दया करो प्रभु दया निधान ।

जय बजरंग बली हनुमान,

दया करो प्रभु दया निधान ।


जय बजरंग बली हनुमान,

दया करो प्रभु दया निधान ॥


मत घबरा मन बावरे (Mat Ghabra Mann Baware)

मत घबरा मन बावरे,
है श्याम तेरा रखवाला,

तेरी प्रीत में मोहन मन बावरा है(Teri Preet Me Mohanan Man Bawra Hai)

तेरी प्रीत में मोहन,
मन बावरा है,

जहाँ आसमां झुके जमीं पर (Jahan Aasman Jhuke Zameen Par)

जहाँ आसमां झुके जमीं पर,
सर झुकता संसार का,

गुरुवायुर एकादशी मंदिर की पौराणिक कथा

"दक्षिण का स्वर्ग" कहे जाने वाले अतिसुन्दर राज्य केरल में गुरुवायुर एकादशी का पर्व पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है। यह पर्व गुरुवायुर कृष्ण मंदिर में विशेष रूप से मनाया जाता है, जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।