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वृन्दावन के ओ बांके बिहारी (Vrindavan Ke O Banke Bihari )

वृन्दावन के ओ बांके बिहारी,

हमसे पर्दा करो ना मुरारी ॥


हम तुम्हारे पराये नही है,

गैर के दर पे आये नहीं है,

हम तुम्हारे पुराने पुजारी,

हम तुम्हारे पुराने पुजारी,

हमसे पर्दा करो ना मुरारी,

वृन्दावन के ओ बांके बिहारी ॥


हरिदास के राज दुलारे,

नन्द यशोदा की आँखों के तारे,

राधा जू के सांवरे गिरधारी,

राधा जू के सांवरे गिरधारी,

हमसे पर्दा करो ना मुरारी,

वृन्दावन के ओ बांके बिहारी ॥


बंद कमरों में रुक ना सकोगे,

लाख पर्दो में छुप ना सकोगे,

तुमको हर ओर हम है व्यापारी,

तुमको हर ओर हम है व्यापारी,

हमसे पर्दा करो ना मुरारी,

वृन्दावन के ओ बांके बिहारी ॥


वृन्दावन के ओ बांके बिहारी,

हमसे पर्दा करो ना मुरारी ॥

चैत्र महीना भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे चैत्र माह में मनाया जाता है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस वर्ष भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 17 मार्च 2025, सोमवार को मनाई जाएगी।

सब रस रंग भरे है, रामायण जी में (Sab Ras Rang Bhare Hain Ramayan Ji Mein)

सब रस रंग भरे है,
रामायण जी में,

गंगा से गंगाजल भरक (Ganga Se Gangajal Bharke)

गंगा से गंगाजल भरके,
काँधे शिव की कावड़ धरके,

गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि

सनातन धर्म में गुरु ही हमें सही और गलत की समझ देते हैं और अच्छे-बुरे का अंतर सिखाते हैं। गुरुओं की महत्ता हमारी संस्कृति में सदियों से रही है। यहां तक कि गुरु को भगवान से भी ऊँचा दर्जा प्राप्त है।

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