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जगदाती पहाड़ों वाली माँ, मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ (Jagdati Pahado Wali Maa Meri Bigdi Banane Aa Jao)

जगदाती पहाड़ों वाली माँ,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ,

मेरा और सहारा कोई ना,

मेरी लाज बचाने आ जाओ,

जगदाती पहाड़ों वाली माँ,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


मैं निर्बल निर्धन दिन बड़ा,

मैं घिर गया गम के घेरों में,

मां ज्योति रुपा भय हरनी,

कहीं डूब ना जाऊं अंधेरों में,

कमजोर हूं मैं मैया,

मेरी चिंता मिटाने आजाओ,

मेरी चिंता मिटाने आजाओ,

जग दाती पहाड़ो वाली मां,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


तेरे भरे हुए भंडार है माँ,

मोहताज मैं दाने दाने का,

तेरे होते हुए दिल कांप रहा,

तेरे द्वार के इस दीवाने का,

मेरी नाव भंवर में फंसी,

इसे पार लगाने आ जाओ,

इसे पार लगाने आ जाओ,

जग दाती पहाड़ो वाली मां,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


कहीं एक गरीब की कुटिया ना,

लोगों की नजर से गिर जाए,

विश्वास के रंगों पर मैया,

कहीं पानी ही ना फिर जाए,

क्या करूं कुछ सूझे ना,

मुझे रास्ता दिखाने आ जाओ,

मुझे रास्ता दिखाने आ जाओ,

जग दाती पहाड़ो वाली मां,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


जगदाती पहाड़ों वाली माँ,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ,

मेरा और सहारा कोई ना,

मेरी लाज बचाने आ जाओ,

जगदाती पहाड़ो वाली मां,

मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ ॥


महाशिवरात्रि व्रत विधि

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों मे एक है। यह पर्व भगवान शिव की आराधना को समर्पित होता है और फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।

महातारा जयंती की कथा

हिंदू धर्म में दस महाविद्याओं का विशेष स्थान है, जिनमें से एक देवी महातारा हैं। उन्हें शक्ति, ज्ञान और विनाश की देवी माना जाता है। देवी महातारा का स्वरूप गहरे नीले रंग का होता है, उनकी चार भुजाएं होती हैं और वे त्रिनेत्री हैं।

श्री सूर्य देव चालीसा (Shri Surya Dev Chalisa)

कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग।
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥

आरती अहोई माता जी की (Aarti Ahoi Mata Ji Ki)

जय अहोई माता, जय अहोई माता।
तुमको निसदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता॥

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