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ऐसो रास रच्यो वृन्दावन (Aiso Ras Racho Vrindavan)

ऐसो रास रच्यो वृन्दावन,

है रही पायल की झंकार ॥

ऐसो रास रच्यो वृन्दावन,

है रही पायल की झंकार ॥

घुंघरू खूब छमा छ्म बाजे,

बजते बिछुवा बहुते बाजे,

रवा कौंधनी केहु बाजे,

अंग अंग में गहना साजे,

चूडियन की झंकार,

ऐसो रास रच्यो वृंदावन,

है रही पायल की झंकार ॥


बाजे भात भाँति के बाजे,

झांझ पखावज दुन्दुभि बाजे,

सारंगी और महुवर बाजे,

बंसी बाजे मधुर मधुर बाजे,

वीणा हूँ के तार,

ऐसो रास रच्यो वृंदावन,

है रही पायल की झंकार ॥


राधा मोहन दे गलबईयाँ,

नाचे संग संग ले फिरकईयाँ,

चाल चले शीतल सुखदईयाँ,

जामा पाटुका लहंगा फरिया,

करे सनन सरकार,

ऐसो रास रच्यो वृंदावन,

है रही पायल की झंकार ॥


ऐसो रास रच्यो वृन्दावन,

है रही पायल की झंकार ॥

यशोमती मैया से बोले नंदलाला (Yashomati Maiyya Se Bole Nandlala)

यशोमती मैया से बोले नंदलाला
राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला ॥

फुलेरा दूज 2025 शुभ मुहूर्त

फुलेरा दूज भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी के प्रेम का प्रतीक का त्योहार है। यह त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। वहीं यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का संकेत भी होता है।

शीतला अष्टमी पर बासी भोजन का महत्व

शीतला अष्टमी, जिसे बसोड़ा भी कहा जाता है, होली के सात दिन बाद मनाई जाती है। इस दिन माता शीतला को बासी भोजन का भोग अर्पित किया जाता है।

गुरुवार व्रत कथा

हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवताओं को समर्पित है और फिर उन्हीं के अनुसार उनकी पूजा की जाती है। ठीक ऐसे ही सनातन धर्म में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है।

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