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हरि हरि हरि सुमिरन करो (Hari Hari Hari Sumiran Karo)

हरि हरि, हरि हरि, सुमिरन करो,

हरि चरणारविन्द उर धरो


हरे राम हरे राम रामा रामा हरे हरे

हरे कृष्णा करे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे


हरि की कथा होये जब जहाँ,

गंगा हू चलि आवे तहाँ

हरि हरि, हरि हरि, सुमिरन करो


यमुना सिंधु सरस्वती आवे,

गोदावरी विलम्ब न लावे .


सर्व तीर्थ को वासा वहां,

सूर हरि कथा होवे जहाँ

हरि हरि, हरि हरि, सुमिरन करो

श्री महालक्ष्मी व्रत कथा

(यह व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को आरम्भ करके आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को समापन किया जाता है।)

श्री रामायण जी की आरती (Shri Ramayan Ji Ki Aarti)

आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

दुर्गा कवच पाठ

माता ललिता को दस महाविद्याओं की तीसरी महाविद्या माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन देवी की आराधना करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

मां अम्बे गौरी जी की आरती (Maa Ambe Gauri Ji Ki Aarti)

जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥

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