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मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊँ (Main To Shiv Hi Shiv Ko Dhyau)

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊँ,

जल से स्नान कराऊँ,

मैं तो चावल चंदन चढ़ाऊँ,

मैं तो चावल चंदन चढ़ाऊँ,

और आक धतूरा ल्याऊँ,

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊं,

जल से स्नान कराऊँ ॥


मैं तो जलधारा बरसाऊँ,

मैं तो जलधारा बरसाऊँ,

और अगड़बंब मुख गाऊँ,

और अगड़बंब मुख गाऊँ,

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊं,

जल से स्नान कराऊँ ॥


तब प्रसन्न भए शिव राजा,

तब प्रसन्न भए शिव राजा,

वर माँगो सारू काजा,

वर माँगो सारू काजा ॥


मोको और कछु ना चाहिए,

श्री राधा कृष्ण मिलइये,

मोको और कछु ना चाहिए,

श्री राधा कृष्ण मिलइये ॥


धन नरसी बुद्धि तिहारी,

धन नरसी बुद्धि तिहारी,

ते तो वर मांग्यो अति भारी,

ते तो वर मांग्यो अति भारी ॥


अस बुद्धि और को पावे,

अस बुद्धि और को पावे,

हरि भक्तन को हरि भावे,

मोको और कछु ना चाहिए,

श्री राधा कृष्ण मिलइये,

मोको और कछु ना चाहिए,

श्री राधा कृष्ण मिलइये ॥


मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊँ,

जल से स्नान कराऊँ,

मैं तो चावल चंदन चढाऊँ,

और आक धतूरा ल्याऊँ,

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊं,

जल से स्नान कराऊँ ॥

2025 की पहली मासिक दुर्गाष्टमी कब है

मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन मां भगवती की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

शनिवार पूजा विधि

सनातन धर्म में सप्ताह के हर एक दिन का अपना एक अलग महत्व होता है। इन्हीं में से एक शनिवार का दिन है, जो न्याय के देवता शनि देव को समर्पित है। इस दिन शनि देव की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।

बालाजी ने ध्याले तू: भजन (Balaji Ne Dhyale Tu)

मंगलवार शनिवार,
बालाजी ने ध्याले तू,

मकर संक्रांति पुण्य काल

2025 में, मकर संक्रांति विशिष्ट योग में 14 जनवरी को मनाई जाएगी। 14 जनवरी को सुबह 8 बजकर 41 मिनट पर सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होगा। ऐसे में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक स्नान-ध्यान और दान का शुभ मुहूर्त रहेगा।

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