नवीनतम लेख

मेरी आस तू है माँ, विश्वास तू है माँ(Meri Aas Tu Hai Maa Vishwas Tu Hai Maa)

मेरी आस तू है माँ,

विश्वास तू है माँ,

मेरी हर ख़ुशी का अब,

आगाज़ तू है माँ,

दे दे माँ आँचल की छइयां मुझे,

ले ले माँ बाहों में अपनी मुझे ॥


ग़म के थपेड़े ये,

कैसे सहें मैया,

एक बार आके माँ,

तू थाम ले बइयाँ,

वरना मैं समझूंगा नाराज़ तू है माँ,

मेरी हर ख़ुशी का अब,

आगाज़ तू है माँ,

दे दे माँ आँचल की छइयां मुझे,

ले ले माँ बाहों में अपनी मुझे ॥


कितनी करूँ कोशिश,

कोई काम नहीं बनता,

दिल पे लगे ज़ख्मो का,

माँ दर्द नहीं थमता,

करदे करम मुझपे मोहताज हूँ मैं माँ,

मेरी हर ख़ुशी का अब,

आगाज़ तू है माँ,

दे दे माँ आँचल की छइयां मुझे,

ले ले माँ बाहों में अपनी मुझे ॥


किस्मत मेरी मैया,

क्यों मुझसे रूठ गई,

इसके संवरने की,

उम्मीद भी टूट गई,

कल तक अकेला था पर आज तू है माँ,

मेरी हर ख़ुशी का अब,

आगाज़ तू है माँ,

दे दे माँ आँचल की छइयां मुझे,

ले ले माँ बाहों में अपनी मुझे ॥


नैया भंवर में है,

तुझको पुकारा माँ,

सूझे नहीं रस्ता,

तुझको निहारा माँ,

‘हरी’ हार नहीं सकता गर साथ तू है माँ,

मेरी हर ख़ुशी का अब,

आगाज़ तू है माँ,

दे दे माँ आँचल की छइयां मुझे,

ले ले माँ बाहों में अपनी मुझे ॥


मेरी आस तू है माँ,

विश्वास तू है माँ,

मेरी हर ख़ुशी का अब,

आगाज़ तू है माँ,

दे दे माँ आँचल की छइयां मुझे,

ले ले माँ बाहों में अपनी मुझे ॥

मेरा भोला हे भंडारी, जटाधारी अमली (Mera Bhola Hai Bhandari Jatadhari Amali)

मेरा शिव भोला भंडारी,
जटाधारी अमली,

उत्पन्ना एकादशी पर तुलसी मंजरी का उपाय

इस वर्ष में मंगलवार, 26 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का पर्व मनाया जा रहा है। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।

होली और रंगों का अनोखा रिश्ता

होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि ये खुशियां, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं और गिले-शिकवे भुलाकर त्योहार मनाते हैं। लेकिन क्या आपने ये कभी सोचा है कि होली पर रंग लगाने की परंपरा कैसे शुरू हुई? इसके पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है, जो भगवान श्रीकृष्ण और प्रह्लाद से जुड़ी है।

क्यों घबराता है पल पल मनवा बावरे (Kyun Ghabrata Hai Pal Pal Manva Baware)

क्यों घबराता है,
पल पल मनवा बावरे,

यह भी जाने