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वाक् देवी हे कलामयी हे सुबुद्धि सुकामिनी (Vak Devi He Kalamayee He Buddhi Sukamini)

वाक् देवी हे कलामयी

हे सुबुद्धि सुकामिनी

ज्ञान रूपे सुधि अनूपे

हे सरस्वती नामिनी !

वाक् देवी हे कलामयी

हे सुबुद्धि सुकामिनी

बसू अधर'मे भाव'घर'मे शुद्ध ह्रदय सँवारि दे

ज्ञान गंगा भरि दिय'

माँ विद्या भरि भरि शारदे

करू इजोरे सभ डगरि मे

घेरि रहलै जामिनी !


वाक् देवी हे कलामयी

हे सुबुद्धि सुकामिनी


पाणि वीणा पाणि पुस्तक

हंस वाहिनी वागीशे

राग लय सुर निर्झरी बहबू

हे माँ हमरो दिशे

माय देखियौ द्वंद्व एहिमन

करू शमन हरि-वामिनी !


वाक् देवी हे कलामयी

हे सुबुद्धि सुकामिनी


छल प्रपञ्चसँ दूर रहि रहि

किछु करी जगले सदा

जे देलौं माँ ज्ञान सुधि बुधि

बाँटि दी ओ सर्वदा

फूटय नै शिव के अधर सँ

दोख कुबुद्धि के दामिनी !


वाक् देवी हे कलामयी

हे सुबुद्धि सुकामिनी

उत्पन्ना एकादशी का चालीसा

उत्पन्ना एकादशी सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। वैसे तो हर माह में दो एकादशी आती है, लेकिन उत्पन्ना एकादशी का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन मां एकादशी का जन्म हुआ था।

हमें गुरुदेव तेरा सहारा न मिलता (Hame Gurudev Tera Sahara Na Milata)

हमें गुरुदेव तेरा सहारा न मिलता ।
ये जीवन हमारा दुबारा न खिलता ॥

सूर्य का कुंभ राशि में प्रवेश

सूर्य हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं। इनके राशि बदलने से मनुष्य समेत प्रकृति पर भी प्रभाव पड़ता है। बीते 14 जनवरी को सूर्य ने मकर राशि में प्रवेश किया था। जिसके बाद सूर्य उत्तरायण हो गए और शुभ दिन शुरू हुआ।

भजन बिना चैन ना आये राम (Bhajan Bina Chain Na Aaye Ram)

बैठ के तु पिंजरे में,
पंछी काहे को मुसकाय,