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दुःख की बदली, जब जब मुझ पे छा गई(Dukh Ki Badli Jab Jab Mujhpe Cha Gayi )

दुःख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥


जब जब संकट आया है,

माँ को सामने पाया है,

दुनिया ने रिश्ते तोड़े,

इसने साथ निभाया है,

रोते हुए को हसा गई,

अपने गले लगा गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥


स्वार्थ के संसार में,

तू ही एक सहारा है,

तेरे बिना इस जग में माँ,

कोई नहीं हमारा है,

हारे हुए को जीता गई,

भक्त का मान बढ़ा गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥


ये सच्ची दातार है,

इसकी दया अपार है,

इसकी रहमत से चलता,

मेरा घर संसार है,

‘रजनी’ की बिगड़ी बना गई,

हर घड़ी लाज बचा गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥


दुःख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥

क्या करे इन हाथों का, इतने इतने हाथ (Kya Karein In Hathon Ka Itne Itne Haath)

क्या करे इन हाथों का,
इतने इतने हाथ,

Shri Saraswati Chalisa (श्री सरस्वती चालीसा)

जनक जननि पद कमल रज, निज मस्तक पर धारि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥

पौष माह में करें ये उपाय

हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह साल का दसवां महीना होता है जो मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बाद शुरू होता है। वैदिक पंचाग के अनुसार, इस साल पौष माह की शुरुआत 16 दिसंबर से हो चुकी है।

सर को झुकालो, शेरावाली को मानलो(Sar Ko Jhukalo Sherawali Ko Manalo)

सर को झुकालो,
शेरावाली को मानलो,