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गणपति गजवदन वीनायक (Ganpati Gajvadan Vinayak)

गणपति गजवदन विनायक,

थाने प्रथम मनावा जी,

आना कानी मत ना करीयो,

थारी किरपा चावा जी,

गणपति गजवदन वीनायक,

थाने प्रथम मनावा जी ॥


माथे मुकुट निरालो थाने,

पार्वती का लाल कहावो,

गणपति दुंद दुन्दाला है,

रिद्धि सिद्धि थारे संग में सोहे,

मूसे की असवारी है ॥


गणपति गजवदन वीनायक,

थाने प्रथम मनावा जी,

आना कानी मत ना करीयो,

थारी किरपा चावा जी,

गणपति गजवदन विनायक,

थाने प्रथम मनावा जी ॥


रतन भवर गढ़ आप विराजो,

दुखियो का दुःख दूर करो,

जो भी थारे मन में ध्यावे,

उसकी इक्छा पूर्ण करो,

म्हारी लाज भी राखो गणपति,

थाने मनसु ध्यावा जी ॥


गणपति गजवदन वीनायक,

थाने प्रथम मनावा जी,

आना कानी मत ना करीयो,

थारी किरपा चावा जी,

गणपति गजवदन विनायक,

थाने प्रथम मनावा जी ॥


शुभ और लाभ के देने वाले,

सबकी नैया खेते हो,

मित्रमंडल थारी शरण में आयो,

क्यों ना दर्शन देते हो,

थाने खुश करने की खातिर,

‘राजू’ भजन सुणावे जी ॥


गणपति गजवदन वीनायक,

थाने प्रथम मनावा जी,

आना कानी मत ना करीयो,

थारी किरपा चावा जी,

गणपति गजवदन विनायक,

थाने प्रथम मनावा जी ॥

भस्म तेरे तन की, बन जाऊं भोलेनाथ (Bhasm Tere Tan Ki Ban Jau Bholenath)

भस्म तेरे तन की,
बन जाऊं भोलेनाथ,

वाक् देवी हे कलामयी हे सुबुद्धि सुकामिनी (Vak Devi He Kalamayee He Buddhi Sukamini)

वाक् देवी हे कलामयी
हे सुबुद्धि सुकामिनी

गणेश जयंती पूजा विधि

सनातन हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान गणेश जी का जन्म माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इसे श्रीगणेश के अवतरण-दिवस के रूप में मनाया जाता है।

प्रदोष व्रत की कथा

हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। पंचांग के मुताबिक साल 2025 का पहला प्रदोष व्रत 11 जनवरी को रखा जाएगा, इस दिन शनिवार होने के कारण यह शनि प्रदोष भी कहलाएगा।

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