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मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे(Meri Jholi Chhoti Padgayi Re Itna Diya Meri Mata)

मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे,

इतना दिया मेरी माता।

मेरी बिगड़ी माँ ने बनायीं,

सोयी तकदीर जगायी ।

ये बात ना सुनी सुनाई,

मैं खुद बीती बतलाता रे ।

इतना दिया मेरी माता,

॥ मेरी झोली छोटी पड़...॥


मान मिला सम्मान मिला,

गुणवान मुझे संतान मिली ।

धन धान मिला नित ध्यान मिला,

माँ से ही मुझे पहचान मिली ।

घरबार दिया मुझे माँ ने,

बेशुमार दिया मुझे माँ ने,

हर बार दिया मुझे माँ ने,

जब जब मैं माँगने जाता ।

मुझे इतना दिया मेरी माता,

॥ मेरी झोली छोटी पड़...॥


मेरा रोग कटा मेरा कष्ट मिटा,

हर संकट माँ ने दूर किया,

भूले से कभी जो गुरुर किया,

मेरे अभिमान को चूर किया ।

मेरे अंग संग हुई सहाई,

भटके को राह दिखाई ।

क्या लीला माँ ने रचाई,

मैं कुछ भी समझ ना पाता ।

इतना दिया मेरी माता,

॥ मेरी झोली छोटी पड़...॥


उपकार करे भव पार करे,

सपने सब के साकार करे ।

ना देर करे माँ मेहर करे,

भक्तो के सदा भंडार भरे ।

महिमा निराली माँ की,

दुनिया है सवाली माँ की ।

जो लगन लगा ले माँ की,

मुश्किल में नहीं घबराता रे ।

इतना दिया मेरी माता,

॥ मेरी झोली छोटी पड़...॥


कर कोई जतन ऐ चंचल मन,

तू होके मगन चल माँ के भवन।

पा जाये नयन पावन दर्शन,

हो जाये सफल फिर ये जीवन।

तू थाम ले माँ का दामन,

ना चिंता रहे ना उलझन।

दिन रात मनन कर सुमिरन,

चाकर माँ कहलाता।

इतना दिया मेरी माता,

॥ मेरी झोली छोटी पड़...॥


मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे,

इतना दिया मेरी माता ।

मेरी बिगड़ी माँ ने बनायीं,

सोयी तकदीर जगायी ।

ये बात ना सुनी सुनाई,

मैं खुद बीती बतलाता रे ।

इतना दिया मेरी माता,

॥ मेरी झोली छोटी पड़...॥

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वृंदावन कुञ्ज गलिन में ।

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चरण रज राधा प्यारी की ॥

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