सनातन धर्म में सूर्य देव हमारे आराध्य और साक्षात देवता के रूप में पूजे जाते हैं। नवग्रह में शामिल, ऊर्जा और प्रकाश के देवता सूर्य की आराधना का विशेष महत्व हमारे शास्त्रों में वर्णित है। सूर्योदय के समय सूर्य देवता को जल चढ़ाना सूर्य देव की पूजा का सबसे आसान और प्रचलित तरीका हैं। धार्मिक परंपरा के अनुसार सूर्योदय के समय सूर्य देवता को जल चढ़ाने से व्यक्ति को सौभाग्य और तेज की प्राप्ति होती है। इसलिए हिंदू धर्म में सूर्य को अर्घ्य देना एक पुण्यकारी कर्म है। माना गया है कि सुबह-सुबह सूर्य देव को जल अर्पित करने के और भी कई लाभ हैं। तो आइए जानते हैं हिन्दू परंपराओं में सूर्य देव को अर्घ्य देने यानी जल चढ़ाने का क्या है महत्व और क्या है इसके लाभ।
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य एक बहुत महत्वपूर्ण ग्रह हैं और यदि कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होगी तो धन-सम्पदा, सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और वैभव सभी की प्राप्ति होती है।
सूर्य देव को सूर्योदय के एक घंटे बाद तक जल चढ़ाया जा सकता है। यह सूर्य को अर्घ्य देने का सर्वश्रेष्ठ समय है। जल चढ़ाने के लिए सुबह 6 बजकर 15 मिनट से सुबह 6 बजकर 45 मिनट तक का समय सबसे उत्तम माना गया है। यदि आप रोजाना सूर्य देव को जल अर्पित करने में असमर्थ हैं, तो आप रविवार के दिन भी सूर्य को जल अर्पित जरूर करें। क्योंकि हिंदू मान्यताओं के अनुसार रविवार का दिन सूर्य देव का दिन है।
इस साल होली का त्योहार 14 मार्च को मनाया जाएगा। आपको बता दें कि होली के ठीक दो दिन बाद राहु और केतु अपना नक्षत्र बदलेंगे।
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य और चंद्र ग्रहण दोनों को बहुत ही अशुभ घटनाएँ माना जाता है। इनका असर न केवल देश-दुनिया पर, बल्कि राशिचक्र की सभी राशियों पर भी पड़ता है।
मसान होली दो दिवसीय त्योहार माना जाता है। मसान होली चिता की राख और गुलाल से खेली जाती है। काशी के मणिकर्णिका घाट पर साधु-संत इकट्ठा होकर शिव भजन गाते हैं और नाच-गाकर जीवन-मरण का जश्न मनाते हैं और साथ ही श्मशान की राख को एक-दूसरे पर मलते हैं और हवा में उड़ाते हैं। इस दौरान पूरी काशी शिवमय हो जाती है और हर तरफ हर-हर महादेव का नाद सुनाई देता है।
होली का पर्व हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार रंगों के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठानों का भी प्रतीक है। होलिका दहन से पहले पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।