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सप्तऋषि (Saptrishi)

क्या आपने कभी आसमान में जगमगाहट बिखरते तारों के बीच सात तारे ऐसे देखे हैं जो अन्य तारों से तेज जगमगाते हैं और हमेशा एक ही आकार में होते हैं। अगर आपका जबाव हां है तो फिर आपके मन में ये विचार भी आया होगा कि ये तारे अन्य तारों की अपेक्षा में ज्यादा बड़े ज्यादा चमकीले और एक ही आकृति में क्यों नजर आते हैं। दरअसल वैसे तो आकाश गंगा में अनगिनत तारे हैं, लेकिन इन सभी से इतर सात तारों का एक मंडल ऐसा है, जिसके सभी तारे हमेशा ध्रुव तारे की परिक्रमा करते रहते हैं और लोग इन्हें सप्त ऋषि के नाम से जानते हैं।

ऋषि गौतम (Rishi Gautam)
ऋषि गौतम (Rishi Gautam)
गौतम का उल्लेख ऋग्वेद में अनेक बार हुआ है, किन्तु किसी ऋचा के रचयिता के रूप में गौतम को कभी नहीं देखा गया।
ऋषि जमदग्नि (Rishi Jamdagni)
ऋषि जमदग्नि (Rishi Jamdagni)
महर्षि जमदग्नि की गणना सप्तऋषियों में की जाती है। जमदग्नि ऋषि भृगुवंशी ऋचीक के पुत्र थे।
ऋषि अत्रि (Rishi Atri)
ऋषि अत्रि (Rishi Atri)
अत्रि (वैदिक ऋषि) ऋषि को ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों में से एक और चन्द्रमा, दत्तात्रेय और दुर्वासा का भाई माना जाता है।
ऋषि भारद्वाज (Rishi Bhardwaj)
ऋषि भारद्वाज (Rishi Bhardwaj)
सप्तऋषियों में भारद्वाज ऋषि को सबसे सर्वोच्च स्थान मिला हुआ है। ऋषि भारद्वाज ने आयुर्वेद सहित कई ग्रंथों की रचना की थी।
ऋषि कश्यप (Rishi Kashyap)
ऋषि कश्यप (Rishi Kashyap)
हिंदू धर्म के अनुसार, प्रारंभिक काल में ब्रह्मा जी ने समुद्र और धरती पर हर प्रकार के जीवों की उत्पत्ति की।
ऋषि विश्वामित्र (Rishi Vishvaamitr)
ऋषि विश्वामित्र (Rishi Vishvaamitr)
विश्वामित्र प्रसिद्ध सप्तऋषियों और महान ऋषियों में से एक हैं। विश्वामित्र एक ऋग्वैदिक ऋषि हैं जो ऋग्वेद के मंडल ३ के मुख्य लेखक थे।
ऋषि वशिष्ठ (Rishi Vashishtha)
ऋषि वशिष्ठ (Rishi Vashishtha)
वशिष्ठ ऋषि वैदिक काल के विख्यात ऋषि थे। वे उन सात ऋषियों (सप्तर्षि) में से एक हैं जिन्हें ईश्वर द्वारा सत्य का ज्ञान प्राप्त हुआ था और जिन्होंने वेदों में निहित ज्ञान को मानव तक पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए थे।
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