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ऋषि वशिष्ठ (Rishi Vashishtha)

ऋषि वशिष्ठ (Rishi Vashishtha)

वशिष्ठ ऋषि वैदिक काल के विख्यात ऋषि थे। वे उन सात ऋषियों (सप्तर्षि) में से एक हैं जिन्हें ईश्वर द्वारा सत्य का ज्ञान प्राप्त हुआ था और जिन्होंने वेदों में निहित ज्ञान को मानव तक पहुंचाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। ब्रह्मा देव के मानस पुत्र वशिष्ठ त्रिकालदर्शी ऋषि थे। वशिष्ठ के दो विवाह हुए थे, उनकी पहली अरुंधती थी जो कर्दम ऋषि की नौ कन्याओं में से एक थीं जबकि वशिष्ठ की दूसरी पत्नि का नाम ऊर्जा था जो प्रजापति दक्ष की पुत्री थी। वशिष्ठ शंकर भगवान के साढू तथा सती के बहनोई थे। आकाश में चमकते सात तारों के समूह में पंक्ति के प्रथम स्थान पर ऋषि वशिष्ठ का माना जाता है। ऋषि वशिष्ठ राजा दशरथ के कुलगुरु थे। साथ ही उनके द्वारा ही राजा दशरथ के चारों पुत्रों- राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की शिक्षा भी संपन्न हुई थी। सूर्य वंशी राजा इनकी आज्ञा के बिना कोई धार्मिक कार्य नही करते थे। उनके कहने पर ही राजा दशरथ ने श्री राम और श्री लक्ष्मण को ऋषि विश्वामित्र के साथ आश्रम में राक्षसों का वध करने के लिए भेजा था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कामधेनु गाय के लिए वशिष्ठ और विश्वामित्र में युद्ध भी हुआ था। जिसमें ऋषि वशिष्ठ विजयी हुए थे। ये भी कहा जाता है कि विश्वामित्र ने इनके 100 पुत्रों को मार दिया था, फिर भी इन्होंने विश्वामित्र को क्षमा कर दिया। वशिष्ठ ने राजसत्ता पर अंकुश का विचार दिया तो उन्हीं के कुल के मैत्रावरूण वशिष्ठ ने सरस्वती नदी के किनारे सौ सूक्त एक साथ रचकर नया इतिहास बनाया। ऋषि वशिष्ठ इस मन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक हैं और अरुंधति के पति हैं। वे चुनावी ज्योतिष पर एक ग्रंथ वशिष्ठ संहिता के लेखक हैं। ऋग्वेद में एक भजन में उनका और उनके परिवार का महिमामंडन किया गया है। एक बार राम ने तीर्थ स्थानों की तीर्थ यात्रा से लौटने के बाद राजा दशरथ को सांसारिक चीजों से अपनी मोहभंगता के बारे में बताया और सांसारिक व्यक्ति के रूप में अपने दयनीय जीवन पर दुख व्यक्त किया। तब ऋषि वशिष्ठ ने भगवान राम द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देना शुरू किया। यह "योग वशिष्ठ" नामक ग्रंथ का संदर्भ और विषय है। त्रेता के अंत मे ये ब्रम्हा लोक चले गए थे। वशिष्ठ गोत्र के लोग इन्हीं ऋषि वशिष्ठ की संताने हैं। वशिष्ठ ऋषि के जीवन पर लिखा ये आर्टिकल उनके जीवन का एक छोटा सा हिस्सा है, यदि आप ऋषि वशिष्ठ के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो भक्तवत्सल के ब्लॉग सेक्शन का रुख कर सकते हैं।

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