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व्रत एवं त्यौहार

November 2025 Vrat Tyohar (नवंबर 2025 व्रत-त्योहार)
November 2025 Vrat Tyohar (नवंबर 2025 व्रत-त्योहार)
नवंबर का महीना भारत में अध्यात्म, उत्सव और सामाजिक मेल-जोल का प्रतीक होता है। यह समय धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक परंपराओं को भी एक नया उत्साह प्रदान करता है। इस माह में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार आते हैं, जो जीवन में संयम, भक्ति और समाज के प्रति कर्तव्यों की भावना को जागृत करते हैं।
November 2025 Hindu Calendar 2025 (नवंबर 2025 हिंदू कैलेंडर)
November 2025 Hindu Calendar 2025 (नवंबर 2025 हिंदू कैलेंडर)
नवंबर का महीना भारत में अध्यात्म, उत्सव और सामाजिक मेल-जोल का प्रतीक होता है। यह समय धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक परंपराओं को भी एक नया उत्साह प्रदान करता है। इस माह में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार आते हैं, जो जीवन में संयम, भक्ति और समाज के प्रति कर्तव्यों की भावना को जागृत करते हैं।
अक्षय नवमी क्यों मनाई जाती है
अक्षय नवमी क्यों मनाई जाती है
अक्षय नवमी 2025 में 31 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आता है। अक्षय शब्द का अर्थ है, ‘जो कभी नष्ट न हो’। इसी कारण इसे ऐसा दिन माना गया है जब किए गए दान, व्रत और पूजन का फल कभी समाप्त नहीं होता।
अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा
अक्षय नवमी पर आंवले के पेड़ की पूजा
हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय नवमी 2025 में 31 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। यह तिथि हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को आती है। अक्षय नवमी का अर्थ है वह नवमी जो ‘अक्षय’ अर्थात कभी न समाप्त होने वाला फल देती है।
अक्षय नवमी की तिथि और पूजा विधि
अक्षय नवमी की तिथि और पूजा विधि
पंचांग के अनुसार, अक्षय नवमी हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि दीवाली के ठीक नौ दिन बाद आती है और इसे सतयुग का आरंभ दिवस भी कहा जाता है। साल 2025 में अक्षय नवमी का पर्व शुक्रवार, 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
गोवर्धन पूजा 2025 के नियम
गोवर्धन पूजा 2025 के नियम
गोवर्धन पूजा का पर्व हर साल बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह दीपावली के अगले दिन आता है और इसे अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
विदेश में कब मनाई जाएगी दिवाली 2025
विदेश में कब मनाई जाएगी दिवाली 2025
दिवाली का त्यौहार प्रत्येक भारतीय से जुड़ा हुआ है, इसलिए चाहे वे कहीं भी रहते हों, यह पर्व अवश्य मनाते हैं। लेकिन इस वर्ष तिथियों के कारण रौशनी और प्रकाश का त्योहार दिवाली दो अलग-अलग दिन मनाया जा रहा है।
भाई दूज पर तिलक के शुभ मुहूर्त
भाई दूज पर तिलक के शुभ मुहूर्त
भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना के लिए तिलक करती हैं तथा यमराज व यमुना जी की पूजा करती हैं।
रक्षाबंधन और भाई दूज में अंतर
रक्षाबंधन और भाई दूज में अंतर
हिंदू धर्म में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। यह पर्व भाई और बहन के स्नेह, आशीर्वाद और सुरक्षा का प्रतीक है।
भाई दूज मनाने के नियम
भाई दूज मनाने के नियम
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भाई दूज के दिन यमराज पहली बार अपनी बहन यमुना के घर गए थे, जहाँ यमुना ने तिलक लगाकर उनका स्वागत किया था। इस अनुष्ठान के कारण भाई दूज एक परंपरा बन गई, जब बहनें अपने भाइयों को आमंत्रित करती हैं और उन्हें तिलक लगाती हैं।
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