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दिसंबर 2025 चौथे हफ्ते के व्रत-त्योहार

दिसंबर 2025 चौथे हफ्ते के व्रत-त्योहार

December 2025 Vrat Tyohar: दिसंबर के आखिरी हफ्ते में विघ्नेश्वर चतुर्थी, पौष पुत्रदा एकादशी समेत कई त्योहार, देखें लिस्ट

अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से दिसंबर साल का 12वां महीना होता है। दिसंबर का चौथा हफ्ता विभिन्न व्रत और त्योहारों के मामले में खास रहने वाला है। इस हफ्ते में विघ्नेश्वर चतुर्थी, मंडला पूजा, मासिक दुर्गाष्टमी, कूर्म द्वादशी और अन्य व्रत-त्योहार है। ये त्योहार न केवल हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं, बल्कि हमारे जीवन को अध्यात्मिक और धार्मिक मूल्यों से भी भर सकते हैं। आइए इस आर्टिकल में दिसंबर के चौथे हफ्ते में पड़ने वाले इन महत्वपूर्ण त्योहारों के बारे में जानते हैं और उनके धार्मिक महत्व को समझते हैं।

22 से 31 दिसंबर 2025 के व्रत-त्यौहार

  • 22 दिसंबर 2025- कोई व्रत और त्योहार नहीं 
  • 23 दिसंबर 2025- कोई व्रत और त्योहार नहीं 
  • 24 दिसंबर 2025- विघ्नेश्वर चतुर्थी
  • 25 दिसंबर 2025- स्कन्द षष्ठी
  • 26 दिसंबर 2025- कोई व्रत और त्योहार नहीं 
  • 27 दिसंबर 2025- गुरु गोबिन्द सिंह जयन्ती, मण्डला पूजा
  • 28 दिसंबर 2025- शाकम्भरी उत्सवारम्भ, मासिक दुर्गाष्टमी
  • 29 दिसंबर 2025- कोई व्रत और त्योहार नहीं
  • 30 दिसंबर 2025- तैलंग स्वामी जयन्ती, पौष पुत्रदा एकादशी, धर्म सावर्णि मन्वादि
  • 31 दिसंबर 2025- पौष पुत्रदा एकादशी पारण, कूर्म द्वादशी, मासिक कार्तिगाई, वैकुण्ठ एकादशी, गौण पौष पुत्रदा एकादशी, वैष्णव पौष पुत्रदा एकादशी

22 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

22 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

सोमवार का व्रत- आज आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं, जो न्याय के भगवान शिव को समर्पित है।

23 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

23 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

मंगलवार का व्रत - आज आप मंगलवार का व्रत रख सकते हैं, जो हनुमान जी को समर्पित है।

24 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

24 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

बुधवार का व्रत - आज आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान गणेश को समर्पित है।

विघ्नेश्वर चतुर्थी- पौष शुक्ल चतुर्थी व्रत भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। इस दिन भक्त मध्याह्न काल में विघ्नेश्वर रूप श्रीगणेश की पूजा करते हैं और ब्राह्मणों को लड्डुओं का भोजन कराया जाता है। विधिवत् व्रत करने से विघ्नों का नाश, मनोकामनाओं की पूर्ति और धन-समृद्धि प्राप्त होती है। धर्मग्रन्थों में इसे विनायक चतुर्थी कहा गया है और इसे अत्यंत शुभ तथा मंगलकारी व्रत माना गया है।

25 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

25 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • गुरूवार का व्रत - आज आप गुरूवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान विष्णु को समर्पित है।
  • स्कन्द षष्ठी - स्कन्द षष्ठी एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान स्कन्द (मुरुगन, कार्तिकेय और सुब्रहमन्य)को समर्पित है। यह पर्व शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। साथ ही यदि यह पंचमी तिथि के साथ संयुक्त होती है, तो इसे विशेष रूप से मनाया जाता है। श्रद्धालु इस दिन उपवास करते हैं और भगवान स्कन्द की पूजा करते हैं। कार्तिक चन्द्र मास के दौरान शुक्ल पक्ष की षष्ठी सबसे मुख्य होती है, जब श्रद्धालु छः दिन का उपवास करते हैं जो सूरसम्हाराम तक चलता है।

26 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

26 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • शुक्रवार का व्रत - आज आप शुक्रवार का व्रत रख सकते हैं, जो माता लक्ष्मी को समर्पित है।

27 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

27 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है: 

  • शनिवार का व्रत - आज आप शनिवार का व्रत रख सकते हैं, जो शनि देव को समर्पित है।
  • गुरू गोविंद सिंह जयंती - गुरु गोबिंद सिंह जी (1666–1708) सिखों के दसवें गुरु थे। जूलियन कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म 22 दिसंबर 1666 और ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार 1 जनवरी 1667 को पटना में हुआ। हिन्दू पंचांग के अनुसार उनकी जन्मतिथि पौष शुक्ल सप्तमी, विक्रम संवत 1723 है, जिस पर कोई विवाद नहीं है। नानकशाही कैलेंडर में गुरु गोबिंद सिंह जयंती की तिथियों में हुए बदलाव के बाद भी, इसे अब अधिकतर हिन्दू पंचांग के अनुसार ही मनाया जाता है, जैसे गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है।
  • मंडला पूजा - सबरीमाला अय्यप्पा मंदिर में मण्डला पूजा धनु मास के 11वें या 12वें दिन मनाई जाती है। यह भगवान अय्यप्पा के भक्तों की 41 दिनों की तपस्या का अंतिम दिन होता है, जो वृश्चिक मास के पहले दिन से शुरू होती है। मण्डला पूजा और मकर विलक्कु सबरीमाला के प्रमुख उत्सव हैं, जिनके दौरान मंदिर लंबे समय तक भक्तों के लिए खुला रहता है।

28 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

28 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:

  • रविवार का व्रत- आज आप रविवार का व्रत रख सकते हैं, जो सूर्य देव को समर्पित है।
  • शाकंभरी उत्सवारम्भ - शाकम्भरी नवरात्रि पौष शुक्ल अष्टमी से शुरू होकर पौष पूर्णिमा पर समाप्त होती है, इसलिए इसका उत्सव आठ दिनों का होता है। देवी शाकम्भरी, जो देवी भगवती का अवतार मानी जाती हैं, ने पृथ्वी को अकाल और खाद्य संकट से बचाने हेतु अवतार लिया था। इन्हें फल-सब्जियों की देवी के रूप में पूजा जाता है। पौष पूर्णिमा को शाकम्भरी पूर्णिमा या शाकम्भरी जयंती कहा जाता है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तमिलनाडु के कुछ क्षेत्रों में यह नवरात्रि विशेष रूप से मनाई जाती है।
  • मासिक दुर्गाष्टमी - हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर दुर्गाष्टमी का उपवास किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु दुर्गा माता की पूजा करते हैं और पूरे दिन का व्रत रखते हैं। मुख्य दुर्गाष्टमी, जिसे महाष्टमी कहते हैं, आश्विन माह के शारदीय नवरात्रि उत्सव के दौरान पड़ती है। इस दिन को दुर्गा अष्टमी भी कहा जाता है और मासिक दुर्गाष्टमी को मास दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत और पूजा से भक्त दुर्गा माता की कृपा प्राप्त करते हैं। साथ ही अपने जीवन में सुख-शांति और शक्ति की कामना करते हैं।

29 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

29 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:

सोमवार का व्रत - आज आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित है।

30 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

30 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:

  • मंगलवार का व्रत - आज आप मंगलवार का व्रत रख सकते हैं, जो हनुमान जी को समर्पित है।
  • तैलंग स्वामी जयंती - तैलंग स्वामी (1607–1887) वाराणसी में रहने वाले एक महान हिन्दू योगी थे, जिन्हें दिव्य शक्तियों से संपन्न और भगवान शिव का अवतार माना जाता है। उनका जन्म आंध्र प्रदेश के विजयनगरम के होलिया गाँव में शिवराम नाम से हुआ था। माता-पिता के देहांत के बाद वे संन्यास लेकर गहन साधना में लीन हो गए और बाद में वाराणसी आकर स्थायी रूप से रहने लगे। लगभग 280 वर्ष का लंबा जीवन जीने वाले तैलंग स्वामी को त्रैलंग या तेलंग स्वामी भी कहा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार उनकी जयंती पौष शुक्ल एकादशी को मनाई जाती है, जो पौष पुत्रदा एकादशी के दिन ही पड़ती है।
  • पौष पुत्रदा एकादशी - इसी माह में मनाए जाने वाले प्रमुख व्रतों और पर्वों में से एक है पौष पुत्रदा एकादशी, जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आराधना कर संतान सुख की प्राप्ति और परिवार की समृद्धि का आशीर्वाद मांगते हैं। कहा जाता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। इस पुण्य अवसर पर मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जहां साधक लक्ष्मी-नारायण के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

31 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहार 

31 दिसंबर 2025 के व्रत और त्योहारों के बारे में यहां पूरी जानकारी दी गई है:

  • बुधवार का व्रत - आज आप बुधवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान गणेश को समर्पित है।
  • कूर्म द्वादशी - पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को कूर्म द्वादशी कहा जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के कूर्म अवतार को समर्पित है। भक्त इस तिथि पर विष्णु के कूर्म रूप की पूजा करते हैं। भविष्यपुराण में वर्णित गोविन्द द्वादशी व्रत का आरंभ भी इसी दिन से होता है, जिसे पूरे वर्ष हर माह द्वादशी तिथि पर किया जाता है। नारदपुराण के अनुसार इस दिन भगवान नारायण की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है। क्षीरसागर में निवास करने के कारण ही भगवान विष्णु को नारायण कहा जाता है। इसलिए इस तिथि को नारायण द्वादशी भी कहा जाता है।
  • मासिक कार्तिगाई - कार्तिगाई दीपम तमिल हिंदुओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्राचीन और प्रमुख त्योहार है, जिसे विशेष रूप से भगवान शिव के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन शाम के समय घरों और गलियों में तेल के दीप एक पंक्ति में जलाए जाते हैं, जिससे वातावरण भक्तिमय और आलोकित हो उठता है। यह पर्व कृत्तिका या कार्तिकाई नक्षत्र के प्रभावी होने पर मनाया जाता है और इसी नक्षत्र के नाम से इसका नाम भी लिया गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव ने ब्रह्मा और विष्णु को अपनी श्रेष्ठता दिखाने के लिए स्वयं को एक अनन्त प्रकाश ज्योति में परिवर्तित कर लिया था। यद्यपि कार्तिगाई का पालन हर महीने किया जाता है, लेकिन कार्तिकाई माह में आने वाला कार्तिगाई दीपम सबसे विशेष माना जाता है। तिरुवन्नामलई की पहाड़ी पर इस अवसर पर एक विशाल दीप जलाया जाता है, जिसे महादीपम कहा जाता है और यह कई किलोमीटर दूर से दिखाई देता है। इस पर्व के दौरान हज़ारों श्रद्धालु वहां एकत्र होते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं।

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