नवीनतम लेख
परिभाषा - आमतौर पर किसी भी विषय या पदार्थ से संबंधित जानकारी के ऐसा समूह जो ठीक ढंग से संग्रह किया गया हो उसे शास्त्र कहा जाता है। लेकिन धर्म के संदर्भ मेें शास्त्रों की परिभाषा कुछ अलग है।
धार्मिक तौर पर शास्त्र ऋषियों और विद्वानों के द्वारा बनाए गए वे प्राचीन ग्रंथ हैं जिनमें लोक कल्याण के हित के लिए अनेक प्रकार के कर्तव्य और अनुचितों कर्मों के बारे में जानकारी दी गई है, सरल शब्दों में कहा जाए तो शास्त्र वह धार्मिक ग्रंथ हैं जिन्हें लोगों के हित और अनुशासन के साथ जीवन जीने की कला सिखाने के लिए लिखा गया है।
शास्त्रों की रचना: भारत की आध्यात्मिक परंपरा विश्व की सर्वाधिक प्राचीन परंपरा है, माना जाता है कि भारतीय सनातन और आध्यात्मिक परंपरा का आधार 4 वेद हैं। वेदों को ही आधार बनाकर ऋषियों और विद्वानों ने इनकी एक दार्शनिक (philosophical) पृष्ठभूमि तैयार की जिन्हें शास्त्रों के नाम से जाना जाता है। वैसे तो शास्त्रों की रचना और इनको लिपिबद्ध कब किया गया इस बात की जानकारी काफी कम मिलती है लेकिन प्राचीन मान्यताओं के अनुसार शास्त्र मुख्य रूप से उत्तर-वैदिक साहित्य हैं, जिनको लिपिबद्ध 500 ईसा पूर्व के बाद लिपिबद्ध किया गया है। इसके पहले ये अनादि काल से गुरू शिष्य परंपरा की तर्ज पर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांत्रित होते रहे हैं।
कांची परमाार्य के अनुसार शास्त्र एक आदेश या आज्ञा हैं। जो जीवन के सभी पहलुओं का कवर करते हुए सनातन धर्म के आधार पर जीवन जीने की कला सिखाते हैं। शास्त्रों में इंसान के जन्म से लेकर , प्रतिदिन की दिनचर्या, आध्यात्मिक जीवन, विवाह संस्कार और जीवन से जुड़े लगभग सभी विषय शामिल किए गए हैं। उपनिषदों के अनुसार, इंसान सिर्फ एक भौतिक शरीर नहीं है बल्कि वो एक शुद्ध चेतना है और शास्त्रों का अंतिम लक्ष्य अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानना, ब्रह्म के साथ एक होना और मोक्ष का प्राप्त करना, जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति और अमरता प्राप्त करना है।
शास्त्र केवल शुष्क दर्शन नहीं है, इन्हें हमारे जीवन में व्यवहारिक रूप से लागू किया जा सकता है। शास्त्रों का तात्पर्य आत्म साक्षात्कार है, जो महान संतों द्वारा अनुभव किया गया है।
कुछ विद्वान कहते हैं कि शास्त्रों में जो ज्ञान निहित है यदि सरल भाषा में उसका सार चाहते हैं तो श्रीरामचरितमानस और श्रीमदवाल्मीकरामायण की तरफ अपना रुख करना चाहिए, क्योंकि जिस तरह से राम ने पृथ्वी पर रहकर अपना जीवन व्यतीत किया है वो पूरी तरह से वेद और शास्त्र सम्मत है। मुख्यरूप से सनातन संस्कृति में 6 शास्त्रों का वर्णन मिलता है, जिनमें न्यायशास्त्र, योग शास्त्र, सांख्य शास्त्र, वैशेषिक शास्त्र, वेदान्त शास्त्र और मीमांसा शास्त्र हैं।