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सप्त चिरंजीवी (Sapta Chiranjeevi)

कौन है सप्त चिरंजीवी, क्या है इनके जन्म और पृथ्वी पर रहने की वजह?

“चिरंजीवी,” एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है “अमर”, ये शब्द दो शब्दों के मेल से बना है , जिनमें पहला है  “चिरम” यानी लंबा और दूसरा है “जीवी” यानी कि जीवित। हिंदू सिद्धांत के अनुसार, चिरंजीवी ऐसे अमर प्राणी हैं, जो इस कलियुग के अंत तक पृथ्वी पर रहेंगे। हिंदू धर्म ग्रंथों, रामायण और महाभारत के अनुसार पृथ्वी पर सात चिरंजीवी हैं इन्हें अंशावतार भी कहा जाता है।

अश्वत्थामा (Ashwatthama)
अश्वत्थामा (Ashwatthama)
गुरु द्रोणाचार्य और कृपी के पुत्र अश्वत्थामा महाभारत काल से इस धरती पर मौजूद है।
राजा बलि (Raja Bali)
राजा बलि (Raja Bali)
राजा बली को महाबलि, इंद्रसेन या मावेली के नाम से भी जाना जाता है, बली एक दैत्य राजा थे लेकिन दैत्यों से जुड़े होने के बाद भी उनका वर्णन एक दयालु और उदार राजा के रूप में किया जाता है जो एक बहुत बड़े दानी होने के साथ भगवान विष्णु के परम भक्त भी रहे।
वेद व्यास (Veda Vyas)
वेद व्यास (Veda Vyas)
महर्षि वेदव्यास, महर्षि पराशर और धीवर कन्या सत्यवती के पुत्र थे। रंग काला होने की वजह से महर्षि वेदव्यास को कृष्ण तो वहीं यमुना नदी के बीच द्वीप पर जन्म होने की वजह से उनको द्वैपायन नाम से भी जाना जाता है।
हनुमान (Hanuman)
हनुमान (Hanuman)
रुद्र के ग्यारहवें अवतार और वानर राज केसरी तथा अंजनी के पुत्र हनुमान का जन्म भगवान श्री राम की सेवा के लिए हुआ था।
विभीषण (Vibhishan)
विभीषण (Vibhishan)
विभीषण ऋषि विश्रवा और राक्षसी कैकसी के पुत्र थे। वे एक धर्मपरायण व्यक्ति थे जो हमेशा सत्य के मार्ग पर चलते थे।
कृपाचार्य (Kripacharya)
कृपाचार्य (Kripacharya)
कुरुवंश के कुलगुरु के रूप विख्यात कृपाचार्य महर्षि यानी संत होने के साथ-साथ अद्वितीय योद्धा भी थे
परशुराम (Parashuram)
परशुराम (Parashuram)
भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में जाने जाते हैं हालांकि कुछ जगहों पर इन्हें केवल एक अंशावतार कहा जाता है।
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