रुद्र के ग्यारहवें अवतार और वानर राज केसरी तथा अंजनी के पुत्र हनुमान का जन्म भगवान श्री राम की सेवा के लिए हुआ था। भगवान राम के परम भक्त वीर हनुमान को अजर-अमर होने का वरदान प्राप्त है जो उन्हें सीता मां ने अशोक वाटिका में दिया था। रामायण काल से लेकर हजारों वर्षों बाद हुए महाभारत के युद्ध में भी हनुमान जी का उल्लेख होता है। उस समय हनुमान जी ने भीम का घमंड तोड़ा था, इसके अलावा जब भगवान कृष्ण ने दाऊ भैया का घमंड तोड़ा था तब भी उन्होंने वीर बजरंग बली की मदद ली थी। हनुमान जी के चिरंजवी होने के पीछे कथा मिलती है कि जब वे माता सीता की खोज के लिए लंका तक पहुंचे तो देवी सीता को श्रीराम का संदेश सुनाने के बाद उन्होंने वहां से जाने की आज्ञा मांगी, माता सीता ने अपने आशीष वचन में हमुनाम जी को अजर-अमर रहने का वरदान दे दिया। श्रीरामचरितमानस की पंक्तियों के अनुसार हनुमान जी को मां सीता ने वरदान देते हुए कहा कि-
अजर अमर गुननिधि सुत होऊ, करहु बहुत रघुनायक छोऊ
इसके अलावा हनुमान जी को भगवान शिव का अंशावतार भी माना जाता है। हनुमान सच्चे प्रेम और भक्ति का उदाहरण हैं और हमेशा प्रभु श्री राम की भक्ति में ही लीन रहते हैं। महाकाव्य रामायण में हनुमान जी की वर्णनन कर्म योगी के रूप में मिलता है। उन्हें बुद्धि, शक्ति, साहस, भक्ति और आत्म-अनुशासन का देवता माना जाता है । ऐसी मान्यता है कि हनुमान आज भी पृथ्वी पर विचरण करते रहते हैं और जहां भी उनको श्रीराम कथा मिल जाती है वे वहां उपस्थित हो जाते हैं।
भक्तवत्सल पर आप हनुमान जन्म और अन्य देवताओं की कथा भी पड़ सकते हैं।
झारखंड राज्य के रामगढ़ जिले में स्थित रजरप्पा का छिन्नमस्तिका देवी मंदिर एक अद्भुत शक्तिपीठ है, जहां बिना सिर वाली देवी की पूजा की जाती है। यह मंदिर तांत्रिक विद्या के लिए भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह स्थान विशेष और रहस्यमय महत्व रखता है।
कूर्म जयंती, भगवान विष्णु के दूसरे अवतार कूर्म ‘कछुए’ के रूप में प्रकट होने की तिथि है। इस साल कूर्म जयंती 12 मई, सोमवार को मनाई जाएगी। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का विशेष धार्मिक महत्व है। इस दिन भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से समृद्धि, संतान सुख और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।
बुद्ध पूर्णिमा, जिसे बुद्ध जयंती भी कहा जाता है, बौद्ध धर्म का प्रमुख पर्व है। यह दिन भगवान गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण की तिथि के रूप में मनाया जाता है। इस साल बुद्ध पूर्णिमा 12 मई, सोमवार को है।