बजरंगबली आओ,
हनुमान चले आओ,
माँ अंजनी के प्यारे,
बालाजी आ जाओ ॥
महावीर तुम्हारे हम,
दर्शन अभिलाषी है,
तुम आकर भक्तो को,
प्रभु दरश दिखा जाओ ॥
श्री राम दुलारे हो,
करते हो दया सब पर,
मेरी नाव भवर में है,
मुझे पार लगा जाओ ॥
हमें संकट ने घेरा,
तुम बिन ना कोई मेरा,
बाबा संकट दूर करो,
किरपा बरसा जाओ ॥
श्री राम काज किये,
सबके दुःख हरते हो,
बालाजी मेरे भी,
कष्टों को मिटा जाओ ॥
हम तुम्हे मनाते है,
श्रद्धा से बुलाते है,
भक्तो की विनती पर,
दो ध्यान चले आओ ॥
तुम पर ही भरोसा है,
विश्वास तुम्हारा है,
हम दीनो के बाबा,
तुम भाग्य जगा जाओ ॥
बजरंगबली आओ,
हनुमान चले आओ,
माँ अंजनी के प्यारे,
बालाजी आ जाओ ॥
वेदों के रचयिता वेदव्यास जी ने महाभारत महाकाव्य की रचना की है। इस महाकाव्य में प्रमुख स्तंभ भीष्म पितामह को बताया गया है। हस्तिनापुर के राजा शांतनु का विवाह देवी गंगा से हुआ था।
मासिक कार्तिगाई एक विशेष हिंदू त्योहार है। यह मुख्य रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है। इस दिन दीप जलाने की परंपरा है। इस दिन खासकर घरों और मंदिरों में दीपक जलाया जाता है।
कार्तिगाई दीपम का पर्व मुख्य रूप से तमिलनाडु, श्रीलंका समेत विश्व के कई तमिल बहुल देशों में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और उनके पुत्र कार्तिकेय की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
मासिक कार्तिगाई हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने आने वाला एक पवित्र दिन है। यह चंद्र मास के कार्तिगाई नक्षत्र के दौरान मनाया जाता है। साल 2025 में फरवरी माह में भी मासिक कार्तिगाई का त्योहार मनाया जाएगा।