होली खेल रहे बांकेबिहारी आज रंग बरस रहा ,
और झूम रही दुनिया सारी,
आज रंग बरस रहा ॥
अबीर गुलाल के बादल छा रहे है,
होरी है होरी है छोर मचा रहे,
झोली भर के गुलाल कि मारी,
आज रंग बरस रहा ॥
देख देख सखियन के मन हर्षा रहे,
मेरे बांके बिहारी आज प्रेम बरसा रहे,
उनके संग में हैं राधा प्यारी,
आज रंग बरस रहा ॥
आज नंदलाला ने धूम मचाई है,
प्रेम भरी होली कि झलक दिखायी है,
रंग भर भर के मारी पिचकारी,
आज रंग बरस रहा ॥
अबीर गुलाल और ठसो का रंग है,
वृंदावन बरसानो झूम रह्यो संग है,
मैं बार बार जाऊं बलिहारी ॥
भाई दूज भारतीय परंपराओं का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए मनाती हैं। लेकिन बिहार और कुछ अन्य क्षेत्रों में इस पर्व को मनाने की विधि बेहद अलग और अनोखी है।
दीपोत्सव दिवाली के पांच दिवसीय महोत्सव में गोवर्धन पूजा के अगले दिन भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक इस त्योहार के साथ ही दिवाली उत्सव का समापन होता है।
दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव के दौरान गोवर्धन पूजा का त्योहार बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है।
गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत, गाय और गौवंश की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर श्रीकृष्ण को उनका भोग लगाने और अन्नकूट महोत्सव का भी विधान है।