यही रात अंतिम यही रात भारी: भजन (Yehi Raat Antim Yehi Raat Bhaari)

यही रात अंतिम यही रात भारी,

बस एक रात की अब कहानी है सारी,

यही रात अंतिम यहीं रात भारी ॥


नहीं बंधू बांधव ना कोई सहायक,

अकेला है लंका में लंका का नायक,

सभी रत्न बहुमूल्य रण में गंवाए,

लगे घाव ऐसे की भर भी ना पाए,

दशानन इसी सोच में जागता है,

की जो हो रहा उसका परिणाम क्या है,

ये बाजी अभी तक ना जीती ना हारी,

यही रात अंतिम यहीं रात भारी ॥


वो भगवान मानव तो समझेगा इतना,

की मानव के जीवन में संघर्ष कितना,

विजय अंततः धर्म वीरों की होती,

पर इतना सहज भी नही है ये मोती,

बहुत हो चुकी युद्ध में व्यर्थ हानि,

पहुँच जाए परिणाम तक अब कहानी,

वचन पूर्ण हो देवता हो सुखारी,

यही रात अंतिम यहीं रात भारी ॥


समर में सदा एक ही पक्ष जीता,

जय होगी मंदोदरी या के सीता,

किसी मांग से उसकी लाली मिटेगी,

कोई एक ही कल सुहागन रहेगी,

भला धर्म से पाप कब तक लड़ेगा,

या झुकना पड़ेगा या मिटाना पड़ेगा,

विचारों में मंदोदरी है बेचारी,

यही रात अंतिम यहीं रात भारी ॥


ये एक रात मानो यूगो से बड़ी है,

ये सीता के धीरज की अंतिम घड़ी है,

प्रतीक्षा का विष और कितना पिएगी,

बिना प्राण के देह कैसे जिएगी,

कहे राम राम अब तो राम आ भी जाओ,

दिखाओ दरश अब ना इतना रुलाओ,

की रो रो के मर जाए सीता तुम्हारी,

यही रात अंतिम यहीं रात भारी।।


यही रात अंतिम यही रात भारी,

बस एक रात की अब कहानी है सारी,

यही रात अंतिम यहीं रात भारी ॥

........................................................................................................
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम - भजन (Shyam Teri Bansi Pukare Radha Naam)

श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम

भोलेनाथ है वो मेरे, भोलेनाथ हैं (Bholenath Hai Vo Mere Bholenath Hai)

हर इक डगर पे हरपल,
जो मेरे साथ हैं,

श्री गणेश स्तोत्रम्

कैलाशपर्वते रम्ये शम्भुं चन्द्रार्धशेखरम्।
षडाम्नायसमायुक्तं पप्रच्छ नगकन्यका॥

हरियाली अमावस्या : पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने और पर्यावरण संरक्षण का अनोखा पर्व

आज 4 अगस्त यानी रविवार को हरियाली अमावस्या है, ये तिथि भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास की एक विशेष तिथि है जो हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। माना जाता है कि साल के इस समय धरती हरियाली की चादर से ढक जाती है इसलिए श्रावण अमावस्या को हरियाली का त्यौहार कहा जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।