स्कंद पुराण के तीर्थ प्रकरण में चार धाम यात्रा का काफी महत्व माना गया है। भारत की चारों दिशाओं यानि पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण में चार धाम बसे हुए हैं। देश के अलग-अलग कोनों में मौजूद चार धामों को आदि शंकराचार्य ने परिभाषित किया है, जिसके अनुसार प्रत्येक धाम एक विशेष युग का प्रतिनिधित्व करता है।